सोने की खरीदारी
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भारत में सोने की कीमतें गुरुवार को ऐतिहासिक शिखर पर पहुंच गईं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर पीली धातु 76,899 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर कारोबार करती दिखी। विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमतों में उछाल के कई कारण हैं। इनमें प्रमुख केंद्रीय बैंकों का नरम दृष्टिकोण, बॉन्ड यील्ड में नरमी और बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनाव प्रमुख हैं।
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने मीडिया से बातचीत में सोने की कीमतों में ऐतिहासिक वृद्धि के कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “एमसीएक्स गोल्ड 76,899 रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि प्रमुख केंद्रीय बैंकों के नरम दृष्टिकोण और बॉन्ड यील्ड में नरमी से बुलियन की मांग को बढ़ावा दिया है। फेडरल रिजर्व से इस साल अपने दो शेष निर्णयों में दरों में कटौती की उम्मीद है, जिसमें नवंबर में 25-आधार अंकों की कटौती की संभावना बढ़ रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चितता और बुधवार को लेबनान पर इजरायल के हवाई हमलों के बाद मध्य पूर्व में फिर से तनाव बढ़ने से भी सोने की कीमतों में तेजी आई।” कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च के एवीपी कायनात चैनवाला ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है।
कायनात चैनवाला ने कहा, “अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में गिरावट और भू-राजनीतिक तनाव के बीच मजबूत सुरक्षित-हेवन मांग के कारण कॉमेक्स सोने की कीमतों में उछाल आया। हालांकि, डॉलर के मजबूत होने के कारण कीमतें उच्च स्तरों से नीचे आ गईं। इसके बावजूद, मध्य पूर्व में बढ़े तनाव, खासकर लेबनान में हिजबुल्लाह पर इजरायल के हमलों के बाद, सुरक्षित-हेवन बोलियों ने गिरावट को सीमित करने में मदद की, जिससे कॉमेक्स सोना 0.5% बढ़कर $2,691.30 प्रति औंस पर बंद हुआ।”
उन्होंने आगे कहा, “आज, कॉमेक्स गोल्ड ने अपना ऊपर का रुख जारी रखा शुरुआती सत्र में ही 2,700.60 डॉलर पर पहुंच गया। सोने की कीमतों पर आगामी अमेरिकी चुनावों से जुड़ी अनिश्चितता और अर्थव्यवस्था के प्रमुख आंकड़ों के अनुमानों का असर पड़ा। इस साल फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में और कटौती होगी या नहीं इसके अनुमान के लिए निवेशक अमेरिकी खुदरा बिक्री और बेरोजगारी के आंकड़ों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। अब तक, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लचीलेपन के संकेतों ने उन अटकलों को बढ़ावा दिया है जिनके अनुसार फेडरल रिजर्व दरों में कटौती के लिए कम आक्रामक दृष्टिकोण अपना सकता है।”
कम बॉन्ड यील्ड, भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंकों के नरम रुख के कारण भी सोने की कीमतों में लगातार तेजी की संभावना बन रही है, क्योंकि सुरक्षित निवेश के लिए सोने की मांग मांग में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।