बोलिनेनी राजगोपाल नायडू
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आंध्र प्रदेश सरकार ने नए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड का एलान किया। इसका अध्यक्ष बीआर नायडू को बनाया गया है। नवनियुक्त अध्यक्ष नायडू ने कामभार संभालते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता दूसरे धर्मों के लोगों को वीआरएस दिलाना है।
‘मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा’
बीआर नायडू ने कहा, ‘टीटीडी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने पर मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। मेरा जन्म और पालन-पोषण चित्तूर जिले में हुआ। हम अक्सर तिरुमला जाते थे। मुझे नियुक्त करने के लिए मैं चंद्रबाबू नायडू और एनडीए नेताओं को धन्यवाद देता हूं। मैं इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ मानता हूं।’
मैं पांच साल में एक बार भी तिरुमला नहीं गया: नायडू
उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकार ने वहां बहुत सारी गलतियां की हैं। मैं पांच साल में एक बार भी तिरुमला नहीं गया क्योंकि मुझे लगा कि इसकी पवित्रता नहीं है। पहले मैं साल में पांच-छह बार तिरुमला जाता था। मैंने इन मुद्दों पर सीएम चंद्रबाबू नायडू से चर्चा की है। मेरा इरादा वहां सिर्फ काम करने का है, किसी चीज को हासिल करने के इरादे से नहीं। मैं सरकार से तिरुमला में काम कर रहे दूसरे धर्मों के लोगों के बारे में बात करूंगा, चाहे उन्हें दूसरे विभागों में भेजा जाए या उन्हें वीआरएस दिया जाए।’
नवनियुक्त अध्यक्ष ने कहा, ‘नई समिति पिछली समिति की तुलना में अच्छा काम कर रही है। अब कोई समस्या नहीं है। पिछले महीने टीटीडी ने ‘ब्रह्मोत्सवम’ का आयोजन किया था… मैं (बदलाव लाने) की कोशिश करूंगा।’
गौरतलब है, आंध्र प्रदेश सरकार में बुधवार को आदेश जारी कर नए बोर्ड की संरचना का ब्योरा दिया गया था। बोर्ड में अन्य राज्यों के सदस्य भी शामिल हैं। नए बोर्ड में कर्नाटक से तीन तेलंगाना से पांच तमिलनाडु से दो तो वहीं गुजरात और महाराष्ट्र से एक-एक सदस्य शामिल हैं।
कौन हैं बोलिनेनी राजगोपाल नायडू?
अनुभवी मीडिया उद्यमी बोलिनेनी राजगोपाल नायडू की बात करें तो वह हिंदू संस्कृति, मीडिया की स्वतंत्रता और सामाजिक कल्याण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। इस अध्यक्ष पद के लिए वह बहुत सारा अनुभव लेकर आए हैं। चित्तूर के साधारण किसान परिवार में जन्में बीआर नायडू का ग्रामीण परिवेश से लेकर सफल व्यवसायी बनने तक का सफर उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। बीएचईएल में करियर के बाद उन्होंने बिजनेस में कदम रखा और ट्रैवल, मीडिया और एफएमसीजी के कामों में सफल बिजनेस स्थापित किए। बीएचईएल में जनरल सेक्रेटरी के रूप में 12,000 कर्मचारियों को संभालते हुए नायडू ने हमेशा उनकी सफलता के लिए प्रयास किया। बीआर नायडू की पत्नी विजयलक्ष्मी ने भी लंबे समय तक उसी पीएसयू में काम किया।
एनटीआर के समर्थन में किया आंदोलन
नायडू ने बीएचईएल के कल्चरल सेक्रेटरी के रूप में भी काम किया, जिससे बाद उनको एनटी रामाराव से मिलने का मौका मिला। रामाराव से राजनीति में शामिल होने का भी आग्रह किया था। इसके बाद नायडू ने “प्रजास्वामी पुनरुद्धार” आंदोलन में एक्टिव रूप से भाग लिया। ये आंदोलन 1983 में शुरू हुआ था, जब आंध्र प्रदेश की राजनीति पर संकट छाया हुआ था। ये आंदोलन एनटीआर को प्रदेश का सीएम बनाने के समर्थन में शुरू हुआ था।
देशद्रोह समेत कई कार्रवाईयों से गुजरे
आंध्र प्रदेश में नायडू का टीवी पांच चैनल निष्पक्ष पत्रकारिता में सबसे आगे रहा है और लोगों के हितों की वकालत करता है। अमरावती राजधानी परियोजना के लिए भी उन्होंने मुखरता से अपनी बात रखी। पिछली सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ उनका रुख हमेशा से कड़ा रहा है और अपने इसी अडिग रुख के चलते उनको पिछली सरकारों की ओर से देशद्रोह समेत कई कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा।