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विनोद खन्ना ने भी सिमी ग्रेवाल के इंटरव्यू में बताया था कि कम्यून में जाने का उनका फैसला स्वार्थी था, लेकिन यही होना था. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अब भी अपने इस कदम को स्वार्थी मानते हैं, तो उन्होंने कहा था, ‘हां! जब तक आप स्वार्थी नहीं होते, आप फैसला नहीं ले सकते, क्योंकि यह आपकी अपनी आत्मा है जिसे उस पार जाना होता है. सभी को अकेले ही अपना सफर तय करना होता है. आप अकेले आते हैं और अकेले ही जाते हैं.’