Mahabharat: महाभारत में कई महत्वपूर्ण किरदार रहें. लेकिन बात जब महाभारत के मामाश्री की हो तो कंस और शकुनि मामा का नाम सबसे पहले लिया जाता है. आज भी लोग कुछ घटनाओं पर कंस और शकुनि मामा के उदाहरण देते हैं.
लेकिन महाभारत काल में एक-दो नहीं बल्कि पांच ऐसे मामा थे जिनकी खूब चर्चा होती है. अपने कारनामों से ये महाभारत के प्रतापी मामा कहलाते हैं. आइये जानते हैं महाभारत के 5 प्रतापी मामाश्री के बारे में-
कंस मामा (Kans): कंस मामा की चर्चा हर जगह होती है. जनपद मगध के सम्राट और जरासंध के दामाद कंस भगवान श्रीकृष्ण के मामा थे. कंस जोकि पूर्व जन्म में कालनेमि नामक राक्षस था और भगवान विष्णु (lord vishnu) ने उसका वध किया था. कंस को लेकर ऐसी भविष्यवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी के पुत्र के हाथों की उसकी मृत्यु होगी. इसके बाद कंस ने अपनी बहन और जीजा को बंदी बनाकर कारावास में रखा और एक-एक कर इसकी संतानों को जन्म के बाद ही हत्या करता गया. लेकिन देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर दिया.
शकुनि मामा (Shakuni Mama): महाभारत में मामाश्री शकुनि बहुत प्रसिद्ध है. महाभारत युद्ध की नींव ही शकुनि ने रखी. उसके छलपूर्वक पासे के कारण पांडव और कौरवों के बीच युद्ध हुआ. लेकिन इसी युद्ध में शकुनि भी मारा गया.
शल्य मामा (Shalya Mama): पांडवों के मामा का नाम शल्य था. कौरव भी इन्हें मामा कहते थे. शल्य बहुत बड़े रथी यानी रथ चलाने वाले थे. महाभारत युद्ध में दुर्योधन ने शल्य मामा को छलपूर्वक अपनी ओर से युद्ध लड़ने के लिए राजी कर लिया और उन्हें कर्ण का सारथी बनाया.
कृपाचार्य (Kripacharya as Kripa): कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा थे. अश्वत्थामा ने जब द्रौपदी के पांचों पुत्रों का सोते समय वध कर दिया तब गांधारी ने कृपाचार्य से कहा कि, अश्वत्थामा के इस पाप के भागीदार आप भी हैं, क्योंकि आप इस पाप को होने से रोक सकते थे. बाद में कृपाचार्य को इस बात का पछतावा भी हुआ, क्योंकि वे चाहते थे तो अश्वत्थामा को ऐसा करने से रोक सकते थे.
श्रीकृष्ण (Shri Krishna): श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध किया था. लेकिन वे स्वयं अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के मामा थे. श्रीकृष्ण यह अच्छी तरह से जानते थे कि अगर अभिमन्यु चक्रव्यूह में गए तो चारों ओर से घिर सकते हैं. लेकिन इसके बाद भी कृष्ण ने अभिन्यु को चक्रव्यूह तोड़ने के लिए भेज दिया, जिसमें उसकी निर्मम हत्या कर दी गई. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में जिसके साथ जो भी हुआ वह कृष्ण की इच्छा से ही हुआ.
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