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यूपी के मिर्जापुर की मझवां विधानसभा क्षेत्र के बजरंग चौराहे पर पान दुकान पर बैठे लोग चुनावी चर्चाओं में ही मशगूल दिखे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का एक कार्यक्रम कछवा में था। राधेश्याम क्षेत्र के विकास के लिए सत्ता के साथ जाने की बात कर रहे थे तो रोहित सपा के पक्ष में बात रख रहे थे।
यह भी गणित लगाया जा रहा था कि किस पार्टी ने कितनी ताकत झोंकी है। कौन बड़े नेता आए, कौन नहीं आए। बसपा से मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद के न आने पर भी बातें हो रही थीं। लोग कह रहे थे कि पहली बार उपचुनाव लड़ रही बसपा क्या गंभीर नहीं है। अगर है तो चुनाव में किसी बड़े नेता की जनसभा क्यों नहीं हुई।
हालांकि, ऐसे कई सवालों पर रविवार की शाम तक विराम लग गया। राजनीतिक दलों ने बीते एक महीने में माहौल बनाने में पूरी ताकत झोंकी। अब बारी मतदाताओं की है। भाजपा चुनावी रैलियों से अपने पक्ष में माहौल बनाती दिख रही है तो सपा भी काफी हद तक जातीय गोलबंदी के इर्द-गिर्द तानाबाना बुनती दिख रही है।
बसपा अगर ब्राह्मण मतदाताओं में सेंध लगाने में सफल हुई तो मुकाबला बेहद करीबी हो जाएगा। क्रिश्चियन अस्पताल के सामने चाय बना रहे शिवम मिश्रा कहते हैं, पिछले एक महीने से उनकी दुकान पर चुनाव के अतिरिक्त कोई चर्चा ही नहीं हुई। जनता तो सत्ता के साथ जाना चाहती है।