यूपी चुनाव परिणाम।
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उपचुनाव में मिली जीत ने भारतीय जनता पार्टी में बीते कई महीनों से चल रही अंदरूनी भितरघात पर लगाम कस दी है। लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद पार्टी के भीतर ही योगी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले नेताओं को इस जीत ने निरुत्तर कर दिया है। सिर्फ योगी ही नहीं, इस जीत से भाजपा संगठन भी ज्यादा शक्तिशाली बनकर उभरा है। संगठन में बदलाव के कयासों पर भी इस जीत की वजह से विराम लग सकता है।
बता दें कि विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाली थी। साथ ही, 30 मंत्रियों को भी मोर्चे पर तैनात किया था। संगठन के विस्तार के लिए सदस्यता अभियान उपचुनाव में जीत की बड़ी वजह बनकर उभरा। इसने बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिराेने का काम किया, जिसका असर उपचुनाव में देखने को मिला है।
पार्टी द्वारा उपचुनाव में ”बंटेंंगे तो कटेंगे” और ”एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे” नारों का इस्तेमाल मुफीद साबित हुआ। करीब डेढ़ वर्ष बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इन नारों को तवज्जो मिलनी तय है, जो वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने का काम करेंगे। खासकर विपक्ष द्वारा चुनाव को जातियों की गणित में उलझाने का फॉर्मूले की काट भाजपा इनके जरिए करेगी।