{“_id”:”67730fce915e2c29580c8b37″,”slug”:”isro-chief-following-launch-of-spadex-mission-docking-essential-for-chandrayaan-4-final-docking-likely-by-jan-2024-12-31″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”स्पैडेक्स लॉन्च: PSLV-C 60 से रवाना हुए दो यान सफलतापूर्वक हुए अलग, कामयाब हुआ तो इस क्लब में शामिल होगा भारत”,”category”:{“title”:”India News”,”title_hn”:”देश”,”slug”:”india-news”}}
स्पैडेक्स मिशन। – फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाई। इसरो ने सोमवार रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र केंद्र शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) को लॉन्च किया। इसे पीएसएलवी-सी60 से रवाना किया गया। इस साल के अपने आखिरी मिशन में इसरो अंतरिक्ष में दो यानों को डॉक (जोड़ने) और अनडॉक (अलग) करने की क्षमता का प्रदर्शन करेगा। मिशन की सफलता पर भारत दुनिया के चुनिंदा देशों अमेरिका, रूस और चीन के विशेष क्लब में शामिल हो जाएगा। मिशन की कामयाबी भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना और चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए अहम साबित होगी।
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पहले स्पैडेक्स का लॉन्च सोमवार रात 9:58 बजे किया जाना था लेकिन बाद में इसरो ने इसे रात 10 बजे के लिए टाल दिया था। हालांकि, इसके पीछे कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। मिशन निदेशक एम जयकुमार ने बताया कि 44.5 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी60 रॉकेट दो अंतरिक्ष यान चेजर (एसडीएक्स01) और टारगेट (एसडीएक्स02) लेकर गया है। इनमें से प्रत्येक यान का वजन 220 किलोग्राम है। पीएसएलवी-सी60 से भेजे गए दोनों यान सफलतापूर्वक अलग हो गए और करीब 470 किमी की वांछित निचली कक्षा में स्थापित कर दिए गए हैं। इसरो के अनुसार, दोनों यानों का झुकाव पृथ्वी की ओर 55 डिग्री होगा। आने वाले दिनों में वैज्ञानिक दोनों यानों की बीच की दूरी कर कम उन्हें जोड़ने की कोशिश करेंगे।
ऐसे होगी डॉकिंग प्रक्रिया
मिशन का उद्देश्य यह है कि जब दोनों यान तेज रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे होंगे तो चेजर टारगेट का पीछा करेगा और दोनों तेजी से एक दूसरे के साथ डॉक करेंगे। अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। वांछित कक्षा में प्रक्षेपित होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यान 24 घंटे में करीब 20 किलोमीटर दूर हो जाएंगे। इसके बाद वैज्ञानिक डॉकिंग प्रक्रिया शुरू करेंगे। ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का उपयोग करते हुए टारगेट धीरे-धीरे 10-20 किमी का इंटर सैटेलाइट सेपरेशन बनाएगा। इसे सुदूर मिलन चरण के रूप में जाना जाता है। चेजर फिर चरणों में टारगेट के पास पहुंचेगा। इससे दूरी धीरे-धीरे 5 किमी, 1.5 किमी, 500 मीटर, 225 मीटर, 15 मीटर और अंत में 3 मीटर तक कम हो जाएगी, जहां डॉकिंग होगी। डॉक हो जाने के बाद मिशन पेलोड संचालन के लिए उन्हें अनडॉक करने से पहले अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन करेगा।
इसलिए पड़ती है आवश्यकता
इसरो के अनुसार, जब अंतरिक्ष में कई ऑब्जेक्ट होते हैं और जिन्हें किसी खास उद्देश्य के लिए एक साथ लाने की जरूरत होती है तो डॉकिंग की आवश्यकता होती है। डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसके मदद से दो अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट एक साथ आते हैं और जुड़ते हैं। यह विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अंतरिक्ष स्टेशन पर चालक दल के मॉड्यूल स्टेशन पर डॉक करते हैं, दबाव को बराबर करते हैं और लोगों को स्थानांतरित करते हैं।
मिशन से होंगे ये फायदे
मिशन की सफलता भारत के खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की योजना 2035 में खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है। साथ ही यह चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए भी अहम है। यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा।