महिला और उनके पति घायल
बुधवार रात हुई वारदात में दो बेटियों की मौत के बाद वह और उनके पति घायल हैं। कॉलेज के वार्ड एक में प्रवक्ता छोटेलाल और वार्ड दो में वीरांगना भर्ती हैं। देखभाल व दुख-दर्द दूर करने के लिए वीरांगना के मायके पक्ष से भाई, बहन, भांजे-भतीजे, ननद और ननद के बच्चों के अलावा कुछ अन्य रिश्तेदार व प्रवक्ता के मित्र आए हुए हैं।
वह लगातार वीरांगना को संभालने की कोशिश कर रहे हैं मगर बेटियों के कत्ल की उस रात के सीन को वह अपने दिमाग एवं आंखों के सामने से हटा नहीं पा रहीं। हालात ये हैं कि गर्दन और सीधे हाथ के पंजे पर चाकू के प्रहार के चलते पट्टी बंधी है, लेकिन वह बैठकर बस बेटियों और अपने जेठौत को लेकर ही बात छेड़े जा रही हैं। हां, पहले से पैरालाइज्ड छोटेलाल जरूर बिस्तर पर लेटे-लेटे इशारों में कुछ बतियाने की कोशिश करते हैं मगर गर्दन में घाव के चलते बोल नहीं पाते।
बोलने लगे थे छोटेलाल, फिर आवाज बंद
वीरांगना व यहां मौजूद उनके भाई-बहन की मानें तो कुछ समय पहले तक बीमार छोटेलाल बोलने लगे थे। इशारों में बात करते थे। हारमोनियम की आवाज पर वह गाने की धुन बताते थे। लग रहा था कि जल्दी सही हो जाएंगे और स्कूल जाने लगेंगे, मगर इस वारदात में फिर गर्दन में चोट से उनकी आवाज बंद हो गई। उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। सुबह कुछ देर के लिए तबीयत बिगड़ी मगर चिकित्सकों ने जैसे-तैसे संभाला।
फोन पर सूचना देकर आए थे विकास-लालू
वीरांगना के अनुसार, पहले 12 जनवरी को विकास का फोन उनके मोबाइल पर आया था। हालांकि वह पहले भी अपनी बहन के साथ रहा और पूर्व में भी कई बार आया था। मगर उस रात अंजान नंबर से कॉल आया था, इसलिए उन्होंने मना कर दिया। अब बुधवार रात साढ़े आठ बजे विकास का फिर फोन आया कि हम ट्रक लेकर आए हैं। माल खाली हो रहा है। इस पर वीरांगना ने घर आने को कह दिया। वह करीब नौ बजे आए। नशे में लग रहे थे। हालचाल जानने के बाद खाना नहीं खाया। सभी बैठकर घंटों बतियाते रहे। वह घर परिवार और बीमारी आदि पर बात करते रहे मगर किसी तरह का अहसास नहीं होने दिया। सोने के बाद अचानक से उसकी नींद टूटी तो दोनों बेटियों को मृत देखा और उनकी गर्दन पर हमले की तैयारी कर रहे थे। तभी वह उठकर भागी और खुद को किसी तरह बचाया।