Brahmin Regret: हिंदू धर्म में ब्राह्मण समाज को आध्यात्मिक परंपराओं का एक अभिन्न अंग माना है, पौराणिक काल से ही इस वर्ग ने ज्ञान, धर्म और सत्य की परिभाषा दी है. ब्राह्मणों ने अपने जीवन को शिक्षा, साधना और संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित किया है.
प्राचीन समय से ही ब्राह्मण समाज के ज्ञानी, दार्शनिक और मार्गदर्शक हुआ करते थे. उनका जीवन ज्ञान, तपस्या और संयम से पहचाना जाता था. उनका उद्देश्य समाज को धर्म, नीति और सदाचार के मार्ग पर चलाना था.
ब्राह्मण और मदिरा का सेवन
आज के नए जमाने में ब्राह्मण इन सब को भूलने लगे हैं. आज के समय में कई ब्राह्मण ऐसे हैं जो ना ज्ञान और ना ही संस्कार को पहचानते हैं. कई ब्राह्मण तो ऐसे हैं जो मदिरा का भी सेवन करते हैं. मदिरा का सेवन तो किसी को भी नहीं करना चाहिए, मगर ब्राह्मण वर्ग के लिए यह ज्यादा दंड्य है.
धनवंतरी दास जी महाराज ने बताया प्रायश्चित
अगर कोई ब्राह्मण जान कर मदिरा का सेवन करें तो उसका प्रायश्चित तो बेहद ही भीषण है, मगर किसी ब्राह्मण के मुख में गलती से भी मदिरा चली जाए तो उसका ब्राह्मणत्व नष्ट हो जाता है. अगर इसके बाद कोई प्रायश्चित करना चाहे तो, शास्त्रों में इसका एक ही प्रायश्चित है.
इसे लेकर धनवंतरी दास जी महाराज का भी सोश्ल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे इसके प्रायश्चित के बारें में बता रहें हैं.
उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्रों में सभी पापों के प्रायश्चित बताएं है, मगर ब्राह्मणों के लिए इसका एक ही प्रायश्चित है. वे ब्राह्मण जिसने यह पाप किया है वे किसी नदी में गले भर पानी में खड़े हो जाए और एक कटोरी में गाय का खौलता हुआ घी पीकर अपने प्राणों का त्याग कर दे, इस पाप का सिर्फ यही एक प्रायश्चित है.
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