Mangalwar Hanuman Puja: मंगलवार का दिन अंजनी पुत्र हनुमान और ग्रहों के सेनापति मंगल को समर्पित है. मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. वहीं इस दिन किए पूजा, व्रत और उपायों से मंगल ग्रह से भी मंगलकारी फल प्राप्त होते हैं.
वैसे तो भगवान हनुमान की पूजा के लिए प्रत्येक मंगलवार का दिन शुभ होता है. लेकिन आज 28 अक्टूबर का दिन कई मायनों में खास है. आज के दिन भगवान हनुमान की पूजा करना बहुत शुभ रहेगा, क्योंकि ज्योतिष के मुताबित आज ग्रहों का शुभ संयोग भी बन रहा है.
मंगलवार के दिन आज कई शुभ योग
बीते दिन यानी 27 अक्टूबर को मंगल का गोचर वृश्चिक राशि में हुआ है. वृश्चिक राशि में प्रवेश कर मंगल कई राशियों को शुभ फल प्रदान कर रहे हैं. वहीं आज मंगलवार 28 अक्टूबर को त्रिपुष्कर योग, सुकर्मा योग और रवि योग का शुभ संयोग भी बना है, जिसमें रामभक्त हनुमान की पूजा करने का महत्व कई गुणा बढ़ जाएगा. मंगलवार के दिन पूजा-अर्चना करने से मंगल दोष से शांति, कष्टों से मुक्ति, शत्रुओं से छुटकारा, कर्ज और रोग से मुक्ति जैसी कई समस्याएं दूर होती है.
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 पंचांग (Today Panchang)
पंचांग के मुताबिक, आज 28 अक्टूबर 2025 को मंगलवार का दिन रहने वाला है. आज अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.42 से दोपहर 12.27 तक है. राहुकाल दोपहर 2.52 से शाम 4.15 तक रहेगा. सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा धनु राशि में हैं. आज के दिन सूर्य देवता को उषा अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन हो गया है. इसके अलावा आज कोई विशेष त्योहार नहीं है.
हनुमान जी की पूजा की सरल विधि (Hanuman Ji Puja Vidhi)
प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ हनुमते नमः’ मंत्र का जप करते हुए पूजा और व्रत का संकल्प लें. एत वेदी तैयार कर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को लाल कपड़े के ऊपर स्थापित करें. फिर दीपक जलाएं और गंगाजल से छिड़काव करें. अब भगवान को लाल चंदन, सिंदूर, फूल, फल, मिठाई, गुड़-चना भोग और चमेली का तेल जैसी सामग्रियां अर्पित करें. पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें. अब आखिर में हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें. यहां देखें हनुमान जी की आरती-
हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti)
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके।।अंजनि पुत्र महाबलदायी।
संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आणि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई।
तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
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