दुद्धी/सोनभद्र/एबीएन न्यूज़। स्थानीय नगर के रामनगर स्थित देव हॉस्पिटल फ्रैक्चर सेंटर में मंगलवार की रात एक विवाहिता की प्रसव के दौरान मौत हो गई, साथ ही नवजात शिशु की भी मृत्यु हो गई। इस दर्दनाक घटना से परिवार में कोहराम मच गया है और क्षेत्र में निजी अस्पतालों की लापरवाही को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, मेदनीखाड़ थाना विंढमगंज निवासी सोनी देवी (22 वर्ष) पत्नी नीरज कुमार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन रात करीब 11 बजे देव हॉस्पिटल लेकर पहुँचे। बताया गया कि अस्पताल के स्टाफ ने छोटा ऑपरेशन (माइनर सर्जरी) करने की बात कही, जिस पर परिजनों ने सहमति दे दी। ऑपरेशन के दौरान ही नवजात शिशु की मौत हो गई।
इसके कुछ देर बाद महिला की स्थिति गंभीर हो गई तो अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ में अफरातफरी मच गई। आनन-फानन में महिला को एक अन्य निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से उन्हें सीएचसी दुद्धी रेफर कर दिया गया। सीएचसी दुद्धी में ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने महिला को मृत घोषित कर दिया। पुलिस को सूचना दिए जाने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
इस घटना के बाद क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाया कि अवैध निजी अस्पतालों का बोलबाला हो गया है, जो बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर आदिवासी एवं ग्रामीण जनता को भ्रामक दावे कर गुमराह कर रहे हैं। ऐसे अस्पतालों में अक्सर अप्रशिक्षित स्टाफ द्वारा इलाज किया जाता है, जिससे आए दिन लोगों की जान जोखिम में पड़ती है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित रहती है। कई बार ऐसे अस्पतालों को सील करने के बाद भी पुनः चालू कर दिया जाता है। क्षेत्र में दलालों की सक्रियता इतनी बढ़ गई है कि वे सरकारी अस्पतालों के आसपास मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिकों में भर्ती करा देते हैं।

जनता का सवाल है कि इन अवैध अस्पतालों के संचालन के पीछे आखिरकार कौन-सा “राज” छिपा है, जो हर कार्रवाई के बाद भी खुलकर कार्य करते रहते हैं। क्षेत्रीय सामाजिक संगठनों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि ऐसे अवैध अस्पतालों के खिलाफ कड़ी और स्थायी कार्रवाई की जाए, ताकि दलित-आदिवासी और गरीब वर्ग के लोग लूट और अकाल मौत से बच सकें।
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