यह व्रत पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा से शिव पूजन करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भक्त को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

प्रदोष व्रत के दिन सूर्यास्त के बाद शिव पूजा का विशेष महत्व होता है. इस समय शिवलिंग पर जलाभिषेक करना अत्यंत शुभ माना गया है. मान्यता है कि ऐसा करने से भाग्य की वृद्धि होती है और जीवन से रोग, तनाव और दुख जैसी परेशानियां दूर होती हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का यह प्रदोष व्रत 3 नवंबर को रखा जाएगा.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 नवंबर की सुबह 5 बजकर 7 मिनट से शुरू होगी और 4 नवंबर की रात 2 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 3 नवंबर को रखा जाएगा.

प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का सबसे शुभ समय शाम 5ः34 बजे से रात 8ः11 बजे तक रहेगा. इस दिन अमृत चौघड़िया शाम 4ः12 बजे से 5ः34 बजे तक है. चल चौघड़िया शाम 5ः34 बजे से 7ः12 बजे तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 5ः34 बजे से 6ः00 बजे तक रहेगा. इन शुभ काल में भगवान शिव की आराधना करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.

प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान शिव और पूरे शिव परिवार की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. अब शिवलिंग पर जल, दूध और शहद से अभिषेक करें. इसके बाद चंदन लगाएं और भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी को फूलों की माला पहनाएं. पूजा के दौरान माता पार्वती को चूड़ी, सिंदूर या लाल चुनरी अर्पित करें.

भगवान शिव को बेलपत्र और शमी का फूल चढ़ाएं. फिर शुद्ध घी का दीपक जलाएं और मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए महादेव की आरती करें. पूजा के अंत में दान या भेंट दें. ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
Published at : 03 Nov 2025 07:30 AM (IST)
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