अफसरों की लापरवाही से पेंशनर्स परेशान
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पिछली गहलोत सरकार ने यह नियम बनाया था कि सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के दिन ही उसे पेंशन के सारे परिलाभ जारी कर दिए जाएंगे। इसमें ग्रेचुटी और पेंशन की अदायगी में देरी होने पर हर दिन 9 प्रतिशत ब्याज सरकार देगी। पेंशनर्स के बिल बनने के बावजूद वित्त विभाग के (वेज एंड मीन्स शाखा) के अफसरों ने कई महीनों से पेंशनर्स के भुगतान को रोक रखा है। करीब 7 हजार से ज्यादा पेंशनर्स की ग्रेचुटी
रोकी गई जिसके मुआवजे के रूप में अब सरकार को खजाने से करोड़ों का ब्याज देना पड़ेगा।
राज्य सरकार में प्रतिवर्ष करीब 30 हजार कर्मचारी सेवा निवृत्त होते हैं। इनमें हर पेंशनर को औसतन 20 लाख रुपए की ग्रेचुटी दी जाती है। जानकारी के मुताबिक जुलाई के बाद ही करीब 7 हजार कर्मचारियों के ग्रुचुटी भुगतान के बिल वित्त विभाग की वेज एंड मीन्स शाखा में ईसीएस के लिए पेंडिंग पड़े रहे। पिछले दिनों विभाग की रिव्यू मीटिंग में जब यह मामला उठा तो बड़े अफसरों के कान खड़े हुए। इसमें 7 हजार कर्मचारियों के हिसाब से न सिर्फ सरकार को ग्रेचुटी देनी है बल्कि इसमें जितने महीने की देरी हुई है उसका ब्याज भी देना होगा क्योंकि पिछली गहलोत सरकार इसे लेकर स्पष्ट नियम बना गई थी। इन नियमों को लागू करने वाले भी यही अफसर थे। जानकारी के मुताबिक ग्रेचुटी के ब्याज के रूप में ही करीब 5 करोड़ रुपए की राशि पेंशनर्स के खाते में डालनी पड़ेगी।
इन भुगतानों में भी की गई देरी
सिर्फ ग्रेचुटी और पेंशन भुगतान में ही देरी नहीं हुई, इनके साथ पेंशनर्स को मिलने वाले अन्य अनेकों भुगतानों में भी देरी हुई। इसमें एसआईपीएफ, पीएल भुगतान की राशि भी शामिल है। आम तौर पर पेंशनर रिटायर होने के बाद मिलने वाली राशि एसआईपीएफ हेड में वापिस जमा करवा देते हैं। इससे सरकार की लिक्विडिटी भी बढ़ती है। लेकिन भुगतान में देरी से इस मद में जमा होने वाली राशि भी घटना तय है।
आईएफएमएस 3.0 की गड़बड़ी, ट्रांसफर के बाद ज्वाइन नहीं हो पा रहे
पेंशनर्स के साथ नियमित कर्मचारियों के लिए भी समस्याओं की कमी नहीं है। बिना तैयारी के वित्त विभाग के अफसरों ने जिस आईएफएमएस 3.0 प्रोजेक्ट को लागू कर दिया उसमें अब दिक्कतों की भरमार सामने आ रही है। जो कर्मचारी ट्रांसफर होकर नए महकमें में आए हैं उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो पा रही है। वहीं नव नियुक्त कर्मचारियों की आईडी ही नहीं बन पा रही जिससे उनके वेतन से लेकर तमाम परिलाभ अटके हुए हैं। बड़ा सवाल यह है कि सरकारी खजाने के होने वाले इस नुकसान के लिए किसकी जिम्मेदारी तय होगी। जिस तरह से मुख्य सचिव सुधांश पंत वित्त विभाग की समीक्षा बैठकों में अफसरों की जिम्मेदारी तय कर रहे हैं क्या इस मामले में भी वे लापरवाही अफसरों पर कार्रवाई करेंगे।