जोधपुर झाल में पक्षी
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा के कीठम और चंबल के साथ अब प्रवासी और देसी पक्षियों के लिए जोधपुर झाल एक मुफीद ठिकाना बन सकेगा। यहां 7.63 करोड़ की लागत से संरक्षण कार्य चल रहा है।
जोधपुर झाल स्थानीय व प्रवासी पक्षी वर्ग की 190 प्रजातियों का घर है। सर्दियों में यहां पक्षियों का जमघट लगता है। एशियन वाटरबर्ड सेंसस-24 के मुताबिक 929 जलीय पक्षियों की संख्या दर्ज की गई थी। इनमें 26 प्रवासी और 19 स्थानीय प्रजाति के पक्षी थे। प्रदेश के राज्य पक्षी सारस का ये प्रजनन स्थल भी है। इसके संरक्षण के लिए बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी चिंतित थी। इस पर ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने पहल शुरू की। कार्यदायी संस्था मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने कार्य शुरू करा दिया। 7.63 करोड़ की धनराशि से वेटलैंड को सुरक्षित रखने के लिए बाड़बंदी की जा रही है। संपर्क मार्ग का समतलीकरण हो चुका है। तीन किलोमीटर के प्रस्तावित संपर्क मार्ग को इंटर लॉकिंग से जोड़ा जाएगा।
जलाशय और आईलैंड बनना शुरू हुए
पक्षी वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह ने बताया कि वेटलैंड पर मिलने वाले पक्षियों के हैविटाट का चिन्हांकन कर लिया है। इनकी भोजन सामग्री और व्यवहार के आधार पर जलाशय और आइलैंड बनाने के स्थानों का निर्धारण कर लिया गया है। 6 हेक्टेयर घना वन, 6 हेक्टेयर ग्रासलैंड और 13 आईलैंड व जलाशय तैयार किए जा रहे हैं।