जरूरी चीजों का निर्यात करेगा भारत।
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भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में जमी बर्फ अभी पिघली नहीं हैं। बावजूद इसके भारत द्वीप राष्ट्र को जरूरी चीजों का निर्यात करेगा। इसमें चीनी, गेहूं, चावल और आलू जैसी चीजें शामिल होंगी। शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है।
इस अधिसूचना में डीजीएफटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत इन वस्तुओं का निर्यात किया जाएगा। इसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में मालदीव के लिए चीनी, गेहूं, चावल और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं के सीमित निर्यात पर किसी भी मौजूदा या भविष्य के प्रतिबंध/निषेध से छूट दी जाएगी।
मालदीव को इन वस्तुओं का निर्यात करेगा भारत
वहीं, भारतीय उच्चायुक्त ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट में कहा कि 1981 में हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की स्वीकृत मात्रा इस बार सबसे अधिक है। जिन वस्तुओं को भारत मालदीव को निर्यात करेगा उनमें चावल 124,218 टन, गेहूं का आटा 109,162 टन, चीनी 64,494 टन, आलू 21,513 टन, प्याज 35,749 टन, पत्थर और रेत 10 लाख टन और 42.75 करोड़ अंडे शामिल हैं।
भारत की ओर से यह घोषणा बीते साल नवंबर से दोनों देशों के बीच शुरू हुए विवाद के बीच आई है, जब राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर भारत से अपने 88 सैन्य कर्मियों को उनके देश से वापस बुलाने की मांग की थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच, संबंध तब और खराब हो गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप द्वीप दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। जिसपर मालदीव के तीन अधिकारियों ने भद्दी टिप्पणियां कीं। जिसके परिणामस्वरूप कई मशहूर हस्तियों सहित भारतीयों ने मालदीव का तगड़ा विरोध किया। वहीं, #BoycottMaldivesअभियान के कारण द्वीप राष्ट्र में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
मालदीव के विदेश मंत्री ने भारत का किया धन्यवाद
मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने भारत सरकार को धन्यवाद कहा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं मालदीव को वर्ष 2024 और 2025 के दौरान भारत से आवश्यक वस्तुओं का आयात करने में सक्षम करने के लिए कोटा के नवीनीकरण के लिए विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं। भारत का यह कदम दीर्घकालिक मित्रता को दर्शाता है। यह मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।