होम्योपैथी
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होम्योपैथी की मीठी गोली में दम है। इससे गंभीर रोग भी ठीक हो रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद होम्योपैथी चिकित्सा का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या दोगुने से ज्यादा बढ़ गए हैं। यहां तक कि बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) में प्रवेश के लिए भी मारामारी हो रही है।
होम्योपैथी के जनक सैमुअल हैनीमन की जयंती पर ये दिवस मनाया जाता है। आगरा की बात करें तो 600 से अधिक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। इस पैथी से पेट रोग, किडनी, लिवर, त्वचा रोग, सांस रोग समेत अन्य बीमारियों में कारगर साबित हो रही है।
होम्योपैथिक चिकित्सक बताते हैं कि कोरोना महामारी के बाद होम्योपैथी के प्रति मरीजों का विश्वास बढ़ा है और ओपीडी में मरीजों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हुई है। अब हर उम्र और मर्ज के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं।
होम्योपैथी में डॉ. आरएस पारीक को मिला पद्मश्री
होम्योपैथी चिकित्सा में अंतरराष्ट्रीय पटल पर शहर का नाम रोशन करने पर डॉ. आरएस पारीक को भारत सरकार ने बीते दिनों पद्मश्री देने की घोषणा की थी। उनका कहना है कि कैंसर, किडनी, लिवर समेत अन्य गंभीर बीमारियों में बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इससे मरीजों में भी भरोसा बढ़ा है।
साइड इफैक्ट बिना कारगर हो रही दवा
उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. कैलाश चंद सारस्वत ने बताया कि होम्योपैथी से मरीज में साइड इफैक्ट नहीं होते हैं। ये मीठी गोली वाली पैथी सस्ती है, इससे बीमारियों के इलाज का खर्च भी कम होता है। कोरोना महामारी के बाद होम्योपैथी का उपयोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
बीएचएमएस में भी बढ़ा रुझान
गिनीज बुक और लिम्का बुक रिकॉर्डधारी डॉ. पार्थसारथी शर्मा अब तक 18 लाख मरीज देख चुके हैं। उनका कहना है कि होम्योपैथी में गंभीर रोगों पर शोध भी हुए हैं, जिनमें ये असरदार साबित हुई है। बीएचएमएच की पढ़ाई क लिए भी छात्रों में रुझान बढ़ा है।