Chaitra Navratri 2024, Day 8 Maa Mahagauri: चैत्र माह की नवरात्रि की शुरुआत 09 अप्रैल से हुई है और 17 अप्रैल को इसका समापन होगा. नवरात्रि का आठवां दिन आज यानी 16 अप्रैल को है. नवरात्रि के अलग-अलग दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है, जिसे नवदुर्गा कहा जाता है.
नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है. मां महागौरी का पूजन करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है. मान्यता है कि इनकी विधिवत पूजन से आर्थिक और मानसिक परेशानी भी दूर होती है. इन्हें शांभवी के नाम से भी जाना जाता है. मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत अद्भुत और सुंदर है. खासकर मां को उनके गौर वर्ण के लिए जाना जाता है. लेकिन मां महागौरी के गौर वर्ण के पीछे रोचक कथा भी है, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए.
मां महागौरी का स्वरूप
मां महागौरी का वर्ण अत्यंत गौर (गोरा या सफेद) है. यहां तक कि इनके वस्त्र और आभूषण सभी सफेद हैं. मां की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन बैल है. मां के दाहिने ओर के ऊपर हाथ में अभय मुद्रा और नीचे हाथ में त्रिशूल है. वहीं बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है.
मां महागौरी की कथा (Maa Mahagauri Story)
मां महागौरी के गौर वर्ण को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं. इसमें से पहली कथा के अनुसार मां महागौरी 16 वर्ष की अविवाहित कन्या हैं. वह भगवान शिव को प्रसन्न करने और शिव को पति रूप में पाने के लिए सालों तक कठोर तपस्या करती है. तप के कारण उनका शरीर काला पड़ जाता है. आखिरकार भगवान शिव महागौरी की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और उनसे विवाह करने का वचन देते हैं. शिवजी ने महागौरी के शरीर को गंगाजल से धोया जिसके बाद उनका रंग गौर हो गया. इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा.
वहीं महागौरी को लेकर अन्य कथा के अनुसार, एक बार शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षस पृथ्वी पर तबाही मचा रहे थे. सभी उनके आतंक से परेशान थे. लेकिन इन राक्षसों का अंत केवल देवी ही कर सकती थी. तब ब्रह्माजी के कहने पर शिव ने मां पार्वती का वर्ण काला कर किया था. लेकिन बाद में देवी ने अपना गौर वर्ण पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी. भगवान शिव इनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और देवी को मानसरोवर में स्नान करने की सलाह की. मानसरोवर में स्नान करने के बाद देवी का रंग श्वेत हो गया. माता के इस श्वेत रूप को कौशिकी कहा जाता है.
मां महागौरी से मिलने वाली प्रेरणा (Maa Mahagauri Inspiration)
- मां महागौरी की कथा और उनके गुण हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. मां के गुण हमें पवित्रता और सकारात्मक बदलाव की सीख देते हैं.
- मां महागौरी का चित्रण या स्वरूप शुद्ध, शांत, पवित्र और अनुग्रह की अवधारणा को दर्शाता है.
- मां महागौरी की कथा भले ही पौराणिक है, लेकिन आधुनिक युग में भी उनके गुण और विशेषताएं हमें अमूल्य शिक्षाएं प्रदान करती हैं.
- सफेद रंग पवित्रता, पूर्णता, स्वच्छता, तटस्था और सटीकता से जुड़ा है. मां महागौरी का सफेद वस्त्र न केवल सादगी और शरीरिक पवित्रता का प्रतिनिधित्व है, बल्कि यह पवित्र विचारों का भी प्रतीक है.
- मां महागौरी का पोशाक सफेद होने के साथ ही सरल भी है, जोकि ध्यान केंद्रित करने और संतुष्टि के महत्व को रेखांकित करती है. आज भौतिकवाद और आधुनिकता में हर किसी को मां की सरलता व सादगी से सीख लेनी चाहिए. इससे आप भौतिकवाद की जटिलताओं से मुक्त होकर अधिक सरल और सार्थक जीवन जी सकते हैं.
- भगवान शिव के प्रति मां महागौरी की अटूट भक्ति और तपस्या ही धैर्य और अनुग्रह के साथ लक्ष्य तक पहुंचने की सीख देती है. यह जानते हुए कि रास्ते में कई चुनौतियां आएंगी. इसके बावजूद भी दृढ़ संकल्प के साथ सपनों की ओर आगे बढ़ते रहना.
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