भंदहाकलां के प्राचीन अवशेष।
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वाराणसी जिले के चौबेपुर क्षेत्र के भंदहाकलां गांव में स्थित विशाल जलाशय के आसपास सातवीं से 10वीं शताब्दी की देव प्रतिमाएं मिली हैं। एकमुखी शिवलिंग सातवीं-आठवीं शताब्दी की बताई जा रही है। जबकि तालाब में मिला स्तंभ 19वीं शताब्दी का है। पुरातत्व विभाग ने इसकी जांच की और इसके संरक्षण के लिए ग्रामीणों को सौंप दिया। हालांकि ग्रामीण पहले से ही इन प्रतिमाओं की पूजा करते हैं।
गंगा गोमती के तट पास और मार्कंडेय महादेव मंदिर से तीन किमी दूर संदहा कलां गांव के तालाब के पास लघु देव प्रतिमाएं काफी समय से मौजूद हैं। यह तालाब अमृत सरोवर योजना में सुंदरीकरण के लिए भी चयनित है। मगर इसपर अतिक्रमण के चलते कार्य नहीं हो पा रहे हैं।
इस गांव के अधिवक्ता पवन पांडेय ने इन मूर्तियों की जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। इसके बाद पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी सुभाषचंद यादव ने भगवान विष्णु, शिवलिंग की जांच की। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी।
उन्होंने बताया कि इन देव प्रतिमाओं के अवशेष 9वीं-12वीं शताब्दी तथा एक मुखी शिवलिंग सातवीं-आठवीं शताब्दी का है। जबकि तालाब में मौजूद स्तंभ जिसकी ऊंचाई नौ फीट और व्यास चार फीट है। उस पर अंकित अभिलेख के आधार पर 19वीं शताब्दी है।
सुभाषचंद यादव ने बताया कि इन प्रतिमाओं का संरक्षण करने की जरूरत है। हालांकि ग्रामीण एकमुखी शिवलिंग को स्वयंभू त्रिपुरारी महादेव के रूप में पूजा करते हैं। यहां पर मंदिर बनाने की तैयारी है।