सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
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सपा ने टिकट देने में कुर्मी बिरादरी को खास अहमियत दी है। जिन मंडलों में इस बिरादरी के मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं, वहां इसी रणनीति के तहत सजातीय प्रत्याशी दिए हैं। 8 मंडलों में कुल 10 कुर्मी प्रत्याशी दिए हैं, जो किसी एक जाति के लिए सपा के सबसे ज्यादा टिकट हैं।
उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मियों की आबादी करीब 8 फीसदी है। यादवों के बाद आबादी में उनका दूसरा नंबर है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रदेश की करीब 50 सीटों को कुर्मी जाति के मतदाता प्रभावित करते हैं। इनमें संत कबीरनगर, महराजगंज, कुशीनगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, बाराबंकी, कानपुर, अकबरपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर सीटें प्रमुख हैं। इस तरह से अवध, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और रुहेलखंड की कई लोकसभा सीटों पर कुर्मी मतदाता सियासी रुख बदलने की क्षमता रखते हैं।
इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सपा ने इस बार यादवों और मुसलमानों से ज्यादा कुर्मी जाति के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। पिछले चुनावों में कुर्मी मतदाताओं का रुझान एनडीए की ओर अधिक रहा है। इस स्थिति को बदलने के लिए सपा ने देवीपाटन मंडल में गोंडा से श्रेया वर्मा और श्रावस्ती से राम शिरोमणि वर्मा पर दांव लगाया है। बस्ती, अयोध्या और गोरखपुर मंडल में भी एक-एक प्रत्याशी कुर्मी जाति से देकर यहां की अन्य सीटों पर समीकरण साधने के प्रयास किए हैं। इन मंडलों में बस्ती से राम प्रसाद चौधरी, अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा और कुशीनगर से अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार को उतारा है।
प्रयागराज मंडल में भी कुर्मी मतदाता निर्णायक स्थिति में माने जाते हैं, इसलिए प्रतापगढ़ से एसपी सिंह पटेल और फतेहपुर से नरेश उत्तम पटेल पर दांव लगाया है। चित्रकूट मंडल में बांदा से कृष्णा पटेल, लखनऊ मंडल में लखीमपुर से उत्कर्ष वर्मा और बरेली मंडल में पीलीभीत से भगवत शरण गंगवार को टिकट देकर सपा ने कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है।