वीपी सिंह को यूं बनाया खलनायक
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बोफोर्स में दलाली के मुद्दे पर कांग्रेस से अलग होने वाले पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के तस्करों से संबंधों का मुद्दा भी खूब गरमाया था। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और जनता दल के बीच सियासी अखाड़ा बनी संसद में इस मामले को लेकर हंगामा हुआ। दोनों सदनों में कांग्रेस सांसदों ने वीपी सिंह पर तस्करों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसदों ने इतना हंगामा किया कि राज्यसभा की कार्रवाई ठप करनी पड़ी।
1989 में नौवीं लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और जनता दल के बीच रस्साकशी शुरू हो गई। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा अपनी-अपनी छवि बेदाग करने में इसलिए जुट गए थे, ताकि वे जनता के बीच अपनी अच्छी इमेज लेकर जाएं। वीपी सिंह जहां बोफोर्स सौदे में दलाली का मुद्दा उठा रहे थे, वहीं कांग्रेस तस्करों से रिश्तों पर वीपी सिंह को घेरने में लगी थी।
अमर उजाला के 5 मई 1989 के अंक में प्रकाशित समाचार के अनुसार, कांग्रेस सांसदों ने सदन में तत्कालीन जनता दल अध्यक्ष के तस्करों से रिश्ते को लेकर सदन की कार्रवाई 15 मिनट के लिए ठप कर दी। कांग्रेस सांसदों ने अखबार की प्रतियां लहराते हुए हंगामा किया। सत्तारूढ़ कांग्रेस के निर्मल खत्री, राम प्यारे पनिका और हरीश रावत ने मामला उठाने का प्रयास किया। लोकसभा के अध्यक्ष बलराम जाखड़ और राज्यसभा की उपसभापति नजमा हेपतुल्ला ने कांग्रेसी सांसदों को मामला उठाने की अनुमति नहीं दी।
राज्यसभा में कांग्रेस के आनंद शर्मा, एसएस अहलूवालिया और रऊफ उल्लाह ने वीपी सिंह पर तस्करों को संरक्षण को लेकर छपी खबर को लेकर अखबार की प्रतियां दिखानी शुरू कर दी। आनंद शर्मा ने इस बारे में सदन में विशेष उल्लेख का नोटिस भी दिया। जनता दल के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने मामला उठाने के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली है। कांग्रेस के सांसदों ने हुए कि मामला महत्वपूर्ण बताते हुए हंगामा किया।