अदालत का फैसला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ सात वर्षीय मासूम के दुष्कर्म के तय हुए आरोप की रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा की बिना प्रवेशन यौन संबंध लैंगिक उत्पीड़न (शीलभंग) हो सकता है, लेकिन दुष्कर्म नहीं। यह फैसला न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकल पीठ ने आरोपी संजय गौर की ओर से बुलंदशहर की विशेष अदालत की ओर से मासूम के साथ दुष्कर्म करने का आरोप तय किए जाने के खिलाफ दाखिल पुनरीक्षण याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए सुनाया।
मामला बुलंदशहर के पहासू थाना क्षेत्र का है। पीड़िता की मां ने आरोपी संजय गौर के खिलाफ अपनी सात वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म करने की एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप था कि संजय ने उसकी बेटी से जबरन यौन संबंध स्थापित किए है। हालांकि, मां ने बेटी के आंतरिक चिकित्सकीय परीक्षण की इजाजत नही दी थी। लेकिन आरोपी के खिलाफ मौजूद अन्य सुबुतो के आधार पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।
इस पर संज्ञान लेते हुए विशेष अदालत आरोपी के खिलाफ पॉक्सो की धाराओं के साथ दुष्कर्म का आरोप भी तय किया था। जिस पर आरोपी की ओर से आपत्ति दाखिल की गई, जिसे अदालत ने निरस्त कर दिया था। आपत्ति निरस्त किए जाने के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।