लोकसभा चुनाव के बीच पश्चिम बंगाल की राजनीति ने अलग ही मोड़ ले लिया है, यहां टीएमसी और कांग्रेस की बंगाल इकाई एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के आलाकमान इन सब पर सफाई दे रहे हैं। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी ही पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को फटकार लगाई थी। वहीं, अब उन्होंने चौधरी की प्रशंसा कर उन्हें पार्टी का लड़ाकू सिपाही बताया है।
अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर हमला तेज कर दिया है। उनका कहना है कि बनर्जी ने राज्य में कांग्रेस को कुचलने के लिए हिंसा का इस्तेमाल किया और वह भाजपा की मदद कर रही हैं। इन सबके बीच खरगे ने चौधरी की सराहना की।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस चौधरी के साथ वही गलती कर रही है जो उसने 1998 में बनर्जी के साथ की थी, जब उन्होंने बंगाल में पार्टी कार्यकर्ताओं पर वामपंथी अत्याचारों के सामने पार्टी का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ दी थी, इस पर खरगे ने कहा, ‘मैं किसी एक व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा। वह कांग्रेस पार्टी के एक लड़ाकू सिपाही और बंगाल में हमारे नेता हैं।’
मामले को अलग तरह से पेश करने की कोशिश
खरगे ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता अब कांग्रेस के गठबंधन का मुद्दा वाम दलों के साथ उठाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इससे मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘वे इसे अलग तरह से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी मजबूत है और एक दूसरे को समझती है। पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है कि कांग्रेस आलाकमान ने वाम दलों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है और हम उसी के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’
बता दें, तृणमूल कांग्रेस राज्य में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ रही है जबकि कांग्रेस और वाम दल संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। खरगे ने शनिवार को मुंबई में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चौधरी द्वारा बनर्जी की आलोचना को खारिज कर दिया था।
अधीर रंजन चौधरी ने यह कहा था
दरअसल, बहरामपुर से पांच बार लोकसभा सदस्य रहे चौधरी ने बंगाल सीएम पर टिप्पणी की थी कि बनर्जी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था, ‘मुझे उन पर (ममता) भरोसा नहीं है। उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया है। वो भाजपा की ओर भी जा सकती हैं। वो बाहर (गठबंधन) या अंदर क्या करेंगी। मुझे नहीं पता। ये आपको उनसे पूछना होगा, लेकिन मुझे उन पर भरोसा नहीं है। उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया है। वो भाजपा में भी जा सकती हैं। इंडी गठबंधन आगे बढ़ रहा है और यह सरकार बनाने की कगार पर है और यही कारण है कि एक अवसरवादी राजनीतिक नेता के रूप में उन्होंने अग्रिम समर्थन देने के बारे में सोचा ताकि इंडिया ब्लॉक को उनके समर्थन से उन्हें चुनाव लड़ने पश्चिम बंगाल में मदद मिलेगी। वह अब जमीनी हकीकत को समझ रही है कि मतदाता इंडी गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं। किस बात ने उन्हें गठबंधन छोड़ने के लिए(पश्चिम बंगाल में) प्रेरित किया? यह आज तक उन्होंने स्पष्ट नहीं किया?’
खरगे ने लगाई थी फटकार
खरगे ने चौधरी की बनर्जी पर की गई टिप्पणी के लिए फटकार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनावों के बाद इंडिया ब्लॉक के सत्ता में आने की स्थिति में ममता बनर्जी गठबंधन का हिस्सा होंगी या नहीं, इस पर निर्णय लेने वाले अधीर रंजन चौधरी कोई नहीं हैं।
चौधरी ने किया पलटवार
हालांकि इस पर चौधरी ने कहा था, ‘मैं किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में नहीं बोल सकता जो मुझे और हमारी पार्टी को बंगाल में राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहता है। यह लड़ाई कांग्रेस के हर कार्यकर्ता की है। मैंने उनकी ओर से बोला है। मैं नहीं चाहता कि राज्य कांग्रेस का इस्तेमाल उनके (बनर्जी) निजी एजेंडे के लिए किया जाए और फिर संगठन को खत्म किया जाए।