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दलजीत कौर ने लिखा था, “मेरे कपड़े, मेरा चूड़ा, मेरा मंदिर, मेरा हर समान वहीं है, मेरा घर वहीं है… मेरे बच्चे के कपड़े, किताबें और उम्मीद अपने पिता से… सब वहीं है… मेरा ससुराल.. मेरे हाथों से बनायी हुई तस्वीर उस्स दीवार पर… वहीं है.” (फोटो साभारः इंस्टाग्राम @kaurdalljiet)