सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
कोरोना की दूसरी लहर के भयावह मंजर आज भी याद हैं, जब घाटों पर चिताएं ही चिताएं नजर आती थीं। कमोबेश वैसे ही दृश्य भीषण गर्मी में होने वाली मौतों की वजह से घाटों पर नजर आ रहे हैं। शनिवार को जिले के अलग-अलग घाटों पर 180 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। नौतपा से पहले रोजाना औसतन 60 शवों का अंतिम संस्कार होता था। इसके अलावा दोनों विद्युत शवदाह गृहों में भी एक दिन में सर्वाधिक 18 शव जलाए गए।
घाटों पर करीब तीन गुना अधिक शव पहुंचने से जगह कम पड़ गई। परिजनों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। इसके बाद भी जगह न मिलने पर निर्धारित स्थलों के आसपास चिताएं जलाई गईं। इतना ही नहीं भीषण गर्मी में लोग शव लेकर घाटों पर पहुंचे, इस वजह से 11 लोग बेहोश भी हुए। विद्युत शवदाह गृहों में भी रोजाना की अपेक्षा शनिवार को अधिक शव पहुंचे। भैरोघाट विद्युत शवदाहगृह में सुबह 7:00 बजे ही लोग पहुंचने लगे थे। सुबह 8:00 बजे से अंतिम संस्कार शुरू हुए। इसके बाद शाम साढ़े छह बजे तक अंतिम संस्कार होते रहे।
मुश्किल में पड़े पंडे… इतनी चिताएं, कहां जलवाएं
भैरोघाट के पंडों ने बताया कि एक साथ इतने ज्यादा शव देखकर वे भी अचंभित हो गए कि इतनी चिताएं कहां जलवाएं। जहां एकसाथ 10 चिताएं ही जल सकती थीं, भीड़ को देखते हुए उतनी ही जगह में 17-18 चिताएं जलवानी पड़ीं। फिर भी जगह कम पड़ने पर मुख्य घाट से गंगा की तरफ भी चिताएं लगवाकर अंतिम संस्कार कराने पड़े। इस घाट पर सबसे अधिक 43 अंतिम संस्कार हुए। इसी तरह भगवतदास घाट पर 15 शव पहुंचे।