सुप्रीम कोर्ट
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दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा वाले हिस्से में सक्रिय हैं। इस पर दिल्ली जल बोर्ड का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। दिल्ली सरकार ने ये बात राष्ट्रीय राजधानी में टैंकर माफिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कही।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि उन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति के लिए टैंकरों की जरूरत है जो जलापूर्ति लाइनों से जुड़े नहीं हैं या जहां आपूर्ति अपर्याप्त है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली जल बोर्ड और निजी टैंकरों की ओर से शहर में प्रतिदिन करीब 50-60 लाख गैलन पानी की आपूर्ति की जाती है, जो कुल आपूर्ति का केवल 0.5 फीसदी है। दिल्ली जब बोर्ड पानी के टैंकरों की उपलब्धता में सुधार करने का प्रयास कर रहा है ताकि निजी टैंकरों की जगह सार्वजनिक टैंकरों का उपयोग किया जा सके।
इस संदर्भ में प्रदेश सरकार की ओर से उपराज्यपाल (जो वर्तमान में कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रभारी हैं) को कई पत्र लिखे गए हैं। पानी की बर्बादी रोकने के लिए दिल्ली सरकार के उठाए गए कदमों पर जिक्र करते हुए, हलफनामे में कहा गया है कि इससे हरियाणा से दिल्ली तक पानी के ट्रांसमिशन में होने वाले नुकसान को 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे पहले यमुना और रावी, ब्यास स्रोतों से पानी नदी के मार्ग और बिना लाइन वाली दिल्ली उप शाखा (डीएसबी) के माध्यम से वजीराबाद और हैदरपुर में दिल्ली में आता था, जिसके परिणामस्वरूप बिना लाइन वाली नहर में 30 प्रतिशत की हानि होती थी। दिल्ली जल बोर्ड ने कैरीड लाइन्ड चैनल (सीएलसी) के निर्माण पर लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किए और नदी मार्ग में नुकसान 30 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत हो गया।
सरकार ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्रों में पानी की टंकियों के ओवरफ्लो होने, निर्माण स्थलों पर पानी के उपयोग, अवैध कनेक्शन आदि के माध्यम से पेयजल की बर्बादी/दुरुपयोग की जांच करने के लिए दैनिक निरीक्षण करें और आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई करें।