बिलखती पत्नी
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राह कुर्बानियों की न वीरान हो, तुम सजाते ही रहना नए काफिले…। दोस्तों, साथियों हम चले दे चले अपनी जान, ताकि जीता रहे अपना हिंदुस्तान…। इन देशभक्ति गीतों के बीच हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर इंतजार कर रहे थे बलिदानी शैलेंद्र कुमार के पार्थिव शरीर का। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सली हमले में बलिदान हुए महाराजपुर के नौगवां गौतम गांव के सीआरपीएफ जवान शैलेंद्र कुमार (28) का शव मंगलवार दोपहर को जैसे ही पहुंचा, पूरा गांव भारत माता के जयकारों से गूंज उठा। मां बिजमा और पत्नी कोमल पार्थिव शरीर से लिपटकर रो पड़ीं तो बहन कंचन, भाई नीरज भी बिलख पड़े। कुछ देर बाद अंतिम यात्रा निकाली गई और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शव को गांव के पास में ही दफनाया गया।
मां बोलीं, जब भरा-पूरा परिवार था तो रुपये नहीं थे, आज रुपये हैं तो परिवार नहीं
अपने पिता की तेरहवीं वाले दिन पैदा हुए शैलेंद्र तीन भाई थे। मंझले भाई सुशील की मौत दो साल पहले सांप के डंसने से हो गई थी। मां बिजला को जब चेक दिया गया तो वे यह कहते हुए बिलख पड़ीं कि जब भरा-पूरा परिवार था तो रुपये नहीं थे, आज रुपये हैं तो परिवार नहीं। पहले पति को खोया और अब दो साल में दो बेटे नहीं रहे।