खबरों के खिलाड़ी
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बीते हफ्ते कई घटना ऐसी हुईं जो सुर्खियों में रहीं। नई लोकसभा के गठन के बाद लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो गया। ओम बिरला एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष बन गए। वहीं, राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लेना भी सुर्खियों में रहा। राहुल के नेता विपक्ष बनने के क्या मायने हैं? पहली बार किसी संवैधानिक जिम्मेदारी पर बैठे राहुल के सामने आगे क्या चुनौतियां होगी? इन मुद्दों पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, समीर चौगांवकर, विनोद अन्निहोत्री और सुनील शुक्ल मौजूद रहे।
समीर चौगांवकर: यह एक अच्छा संकेत है। राहुल गांधी सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं है बल्कि विपक्ष के नेता है। उन्हें पूरे विपक्ष को साथ लेकर चलना होगा। राहुल गांधी पहली बार संवैधानिक पद पर बैठे हैं। अगर 2029 में राहुल गांधी लोगों के सामने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी दावेदारी रखना चाहते हैं तो यह उनके लिए अच्छा मौका है। राहुल गांधी को एक बड़ी चुनौतिपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। मुझे लगता है कि उन्होंने इस पद पर एक अच्छी शुरुआत की है। राहुल गांधी की छवि एक गंभीर नेता के तौर पर बन रही है।