‘श्री 420’ किसे याद नहीं है. वही राजकपूर वाली. मेरा जूता है जापानी… वाली फिल्म. अभी भी उस पीढ़ी के बहुत सारे लोग राज कपूर की इस महान फिल्म को देख नहीं अघाते. फिल्म ‘चाची 420’ ने भी खूब धमाल मचाया था. ताजा बात की जाए तो फिल्म ‘420 आईपीसी’ ने जी-5 पर अच्छी-खासी कमाई की, लेकिन पहली जुलाई से कानूनी तौर पर 420 का मायने बदल गया है. अब नए कानूनों के मुताबिक भारतीय न्याय संहिता की दफा को 316 निपटेगी, यानी 420 अब 316 हो जाएगी.
धोखेबाज कहिए या 420
फिल्मों में क्या, आम बोलचाल में 420 कहने पर लोगों को धोखेबाज का ही अर्थ समझ में आता रहा. गांव-देहात से लेकर शहरों धोखेबाजों को इसी विशेषण से बुलाया जाता रहा. वैसे बोलचाल के मसले याद किए जाएं तो ऐसे बहुत सारे जुमले मौजूद हैं, जिनके मूल प्रतीक खत्म हो चुके हैं. नंबरदार कब और कहां होते हैं, ये बहुत सारे लोगों को पता तक नहीं है. फिर भी पश्चिमी हिंदी में इसका खूब इस्तमाल किया जाता है- ‘बड़ा आया नंबरदार.’ यहां तक कि लंबरदार भी कहा जाता है. जमींदार तो कहानियों में पढ़ने-सुनने को खूब मिलते हैं, लेकिन इसका इस्तमाल कई तरह से अभी भी बातचीत में खूब होता है.
कानूनी शब्दावलियों पर और भी फिल्में
कानूनी शब्दावलियों की बात की जाए तो अभी भी बहुत सारी जगहों पर माफिया के ओहदे तक न पहुंचे किसी शातिर किस्म के व्यक्ति को लोग दस नंबरी कहना पसंद कहते हैं. दस नंबरी नाम से भी एक फिल्म बनी थी. मनोज कुमार हेमा मालिनी की ये फिल्म खूब मशहूर हुई थी. इसमें एक गीत भी था- ये दुनिया एक नंबरी तो हूं मैं दस नंबरी…. दस नंबरी का सिलसिला पुलिसियां कार्रवाई से जुड़ा होता था. पुलिस के दस्तावेज में इस नंबर से सूचीबद्ध अपराधी पर पुलिस नजर रखती थी. दस नंबरी के बारे में भले ही लोगों को बहुत जानकारी न हो, लेकिन इसके अर्थ का बोध उन्हें बहुत आसानी से हो जाता है.
बातचीत के वे प्रतीक जो वास्तविक दुनिया में नहीं हैं
कहानियों किताबों से ही लाट साहब आया जो अब भी चलन में है. किसी के शाहाना अंदाज को तंजिया कहना हो तो बड़े बूढ़े डपट देते हैं – ‘अब लाट साहब न बनो.’ अंग्रेज को गए तीन चौथाई सदी बीत गई है, लेकिन शब्द आज भी राज कर रहा है. खुद लाट साहब से भी ज्यादा. ऐसे ही शब्दों की फेहरिश्त में सिविल सर्जन को भी रखा जा सकता है.
सिविल सर्जन उस दौर का शब्द है, जब सेना के डॉक्टरों की बहुत अहमियत थी. उसी के बराबर का दर्जा देने के लिए आम लोगों के लिए बनाए गए अस्पतालों में इंचार्ज डॉक्टर को सिविल सर्जन कहा जाता है. अभी भी बुजुर्ग लोग जिला अस्पताल के डॉक्टरों या फिर जिला अस्पताल के अधीक्षक को सिविल सर्जन ही कहते हैं. हालांकि ये ओहदा समय के साथ खुद ही खत्म हो गया है. पुरानी पीढ़ी के लोग जानते तो हैं, लेकिन इस्तमाल कम करते हैं.
इस लिहाज से कहा जा सकता है कि ठगी और धोखेबाजी की धारा बदले जाने के बाद भी 420 का इस्तमाल अपने पुराने अर्थ में होता रहेगा. इसे और ठीक से ऐसे समझा जा सकता है कि बहुत सारे शब्दों का रूढ़ार्थ भी होता है, यानी वो शब्द भले ही किसी भी अर्थ का हो, उससे बहुत सारे लोग जो अर्थ समझते हैं और वही शब्द का सही मायने बन जाता है. अगर और विस्तार से कहा जाए तो हिंदी में खुलासा शब्द का इस्तमाल विस्तार से, या फिर रहस्य को प्रकट करने के अर्थ में किया जाता है, जबकि उर्दू में इसका अर्थ संक्षेप में होता है. उर्दू समाचार सुनने वाले जानते हैं कि समाचार बोलने वाला कहता है ये उर्दू के इस वक्त का बुलेटिन है, इसमें आप देश दुनिया की खबरें सुनेगे, लेकिन सबसे पहले पेश है खबरों का खुलासा. यहां खुलासा का अर्थ हेडलाइन से है. अब देखना ये होगा कि क्या 420 पर बॉलीवुड फिल्में आगे भी बनती रहेंगी या ये भी 316 में तब्दील हो जाएगा. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 19:41 IST