बरसात के कारण महंगी हुईं सब्जियां
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पहले भीषण गर्मी और अब बारिश की वजह से टमाटर, आलू और प्याज सहित हरी सब्जियों की कीमतें बढ़ने का सीधा असर जून की खुदरा महंगाई पर दिख सकता है। अनुमान है कि 12 जुलाई को जारी होने वाली जून की महंगाई दर 4.80 फीसदी रह सकती है जो मई में 4.75 फीसदी रही थी।
54 अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, महंगाई दर 4.10 फीसदी से लेकर 5.19 फीसदी तक रह सकती है। भीषण गर्मी, फिर बारिश से उत्तरी भारत में कृषि का नुकसान हुआ था। इससे टमाटर, आलू और प्याज की कीमतें 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी थीं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य आर्थिक सलाहकार कनिका पसरीचा ने कहा, अनाज और दालों के साथ सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी ने खाद्य मुद्रास्फीति को उच्च स्तर पर बनाए रखा। इससे अंडे, फलों और मसालों की कम कीमतों का असर भी खत्म हो गया।
और ज्यादा बढ़ सकते हैं टमाटर, आलू व हरी सब्जियों के दाम
आने वाले समय में टमाटर, आलू और हरी सब्जियों के दाम और बढ़ सकते हैं। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में बारिश से फसलें बर्बाद हो रही हैं। किसानों का कहना है कि मुरादाबाद क्षेत्र में फसलें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। किसानों ने बताया, टमाटर के खेतों में पानी भर जाने से पौधे सड़ रहे हैं। इससे किसान अन्य फसलों की खेती के लिए टमाटर की फसल उखाड़ रहे हैं। इससे पहले भीषण गर्मी से फसलें बर्बाद हुईं थीं। किसानों का कहना है कि गर्मी में उन्हें टमाटर की सही कीमतें नहीं मिली थीं। अब जब कीमतें अच्छी हैं तो बारिश ने उस पर पानी फेर दिया।
दूरसंचार कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने का भी दिखेगा असर
कुछ अर्थशास्त्रियों का यह मानना है कि इस महीने से टेलीकॉम कंपनियों की 25 फीसदी तक टैरिफ बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में महंगाई पर कम से कम 0.2 फीसदी तक दबाव बढ़ने की संभावना है। 19 अर्थशास्त्रियों के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति, जिसमें खाद्य और ऊर्जा जैसी अस्थिर वस्तुएं शामिल नहीं हैं जून में 3.10 फीसदी रह सकती है। कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 8 फीसदी से अधिक बढ़ने के बावजूद, मुख्य महंगाई में हालिया गिरावट एक ऐसी अर्थव्यवस्था में समग्र रूप से कमजोर घरेलू मांग का संकेत देती है जहां निजी खपत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 60 फीसदी है।
4.8%पर पहुंच सकती है मुद्रास्फीति जून में
चालू और अगले वित्त वर्ष में महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के चार फीसदी के मध्यम अवधि के लक्ष्य से ऊपर रहने की उम्मीद है। ऐसे में केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष में केवल एक बार रेपो दरों में कटौती कर सकता है। वह भी दिसंबर तिमाही में ही संभव हो सकता है।