अरविंद केजरीवाल
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गोवा के लग्जरी होटल में रहकर शराब घोटाले से प्राप्त कथित 100 करोड़ रुपये के हिस्से का सीधा लाभ उठाया। केजरीवाल के खिलाफ दायर आरोपपत्र में केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि आबकारी नीति के संदर्भ में दिल्ली सरकार की ओर से गठित मंत्रियों का समूह (जीओएम) एक दिखावा था।
धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) विशेष अदालत ने 17 मई को दायर आरोपपत्र पर मंगलवार को संज्ञान लिया था और जेल में बंद केजरीवाल को 12 जुलाई को कोर्ट में पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया था। इस मामले में दायर सातवें पूरक आरोपपत्र में केजरीवाल और उनकी पार्टी आप को आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
ईडी ने 209 पेज के आरोपपत्र में केजरीवाल की भूमिका को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली सरकार के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से दिल्ली उत्पाद शुल्क घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया, केजरीवाल गोवा के ग्रैंड हयात होटल में ठहरे थे। होटल के बिल का भुगतान इस मामले में आरोपी चनप्रीत सिंह ने किया, इस तरह केजरीवाल ने अपराध की आय का एक हिस्सा सीधे व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल किया। यही नहीं, केजरीवाल ने अपराध की इस आय को दिल्ली सरकार के धन में भी मिला दिया।
साउथ ग्रुप से 100 करोड़ घूस लेने का आरोप
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि राजनेताओं और शराब व्यवसायियों के साउथ ग्रुप ने 2021-22 की दिल्ली की आबकारी नीति को अपने अनुकूल बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इसमें से 45 करोड़ रुपये 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव में आप के प्रचार अभियान के लिए भेजे गए। आप ने खाताबही में 45 करोड़ रुपये का उल्लेख नहीं किया और चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी नहीं दी। इस तरह केजरीवाल 100 करोड़ रुपये की अपराध की आय से हर स्तर पर जुड़े रहे।
केजरीवाल सजा के पात्र
ईडी ने कहा, पीएमएलए की धारा 4 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में भूमिका के लिए केजरीवाल दंडित किए जाने के पात्र हैं। वह परोक्ष भूमिका के लिए भी दंड के अधिकारी हैं क्योंकि आप के मामलों के संचालन के लिए वह जिम्मेदार हैं, जिसे पीएमएलए की धारा 70 के तहत एक कंपनी माना गया है। एजेंसी ने यह भी कहा, गिरफ्तारी के बाद से केजरीवाल के 11 बार बयान दर्ज किए गए, पर उन्होंने जानकारी छिपाई।
केजरीवाल बोले, वह ईडी की जासूसी का शिकार जमानत रद्द करना न्याय की विफलता होगी
आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत से मिली जमानत को चुनौती देने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर बुधवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया। उन्होंने कहा कि वह ईडी की जासूसी का शिकार हुए हैं और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत रद्द करना न्याय की विफलता होगी। उन्होंने कहा कि जमानत देने वाले विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) न्याय बिंदु के खिलाफ ईडी के आरोपों पर नाराजगी जताई जानी चाहिए।
दिल्ली के सीएम ने कहा कि ईडी उनके खिलाफ दुर्भावना से काम कर रही है। इस केस में उनकी जमानत रद्द होना उनके साथ नाइंसाफी होगी। प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें इस केस में फंसाने के लिए सह-आरोपियों पर बयान देने के लिए दबाव बनाया। मनमाफिक बयान देने की एवज में ईडी ने सह-आरोपियों की जमानत अर्जी का विरोध नहीं किया। केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट के अवकाश न्यायाधीश न्याय बिंदु ने 20 जून को जमानत दी थी। ईडी की चुनौती पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 जून को आदेश पर रोक लगा दी थी। केजरीवाल ने अपने जवाब में ईढी की इस दलील का विरोध किया कि उसे अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला।
उन्होंने कहा, निचली अदालत का जमानत देने का आदेश का पूरी तरह से सही है। जज ने अपने विवेक का इस्तेमाल कर आदेश दिया है। इसके खिलाफ ईडी की याचिका में की गई टिप्पणी कोर्ट के प्रति असम्मान को दर्शाती है।
केजरीवाल ने कहा है कि चूंकि ईडी हिरासत के दौरान आईओ द्वारा कोई प्रासंगिक जांच नहीं की गई थी, इसलिए गिरफ्तारी अवैध रूप से सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को परेशान करने और अपमानित करने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, ऐसा कोई सबूत या सामग्री मौजूद नहीं है जो यह प्रदर्शित करे कि आप ने रिश्वत प्राप्त की। गोवा चुनाव अभियान में उनका उपयोग करना तो दूर की बात है। जवाब में कहा कि आप के पास एक भी रुपया नहीं मिला है।