कावड़ यात्रा पर शुरू हुआ घमासान और गंभीर होता जा रहा है। एनडीए के सहयोगी दलों जदयू और आरएलडी के बाद चिराग पासवान ने भी इस आदेश के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। एनडीए के सहयोगी दलों ने उत्तर प्रदेश सरकार के उसे आदेश का विरोध किया है जिसमें कावड़ यात्रा के मार्ग में सभी दुकानदारों को अपनी दुकानों के सामने दुकान के मालिक का नाम लिखने का आदेश दिया है। विपक्षी दलों ने भी इस आदेश पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्ष का आरोप है कि इस आदेश के पीछे भी एक सोची समझी राजनीति हो सकती है क्योंकि उत्तर प्रदेश में कुछ ही दिनों में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इसमें भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। उसका आरोप है कि मतदाताओं के सांप्रदायिक आधार पर विभाजन को बढ़ाने के लिए ही इस तरह का आदेश जारी किया गया है।
सबसे पहले मुजफ्फरनगर की पुलिस ने यह आदेश दिया था कि कावड़ यात्रा के मार्ग में दुकान लगाने वाले रेहडी-पटरी और ढाबे वाले दुकानदार अपनी दुकानों के सामने अपने नाम की प्लेट लगाएं। इसके बाद इस आदेश को पूरे उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा मार्गों पर लागू करने का निर्देश जारी कर दिया गया। मामला केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहा। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने भी पूरे राज्य में कावड़ यात्रा मार्गों पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों के लिए मालिकों के नाम और रेट की लिस्ट लगाना अनिवार्य कर दिया।
भाजपा सरकारों के इस आदेश पर तुरंत ही एनडीए में घमासान मच गया। सबसे पहले एनडीए के जनता दल यूनाइटेड ने इस आदेश को गलत बताया। पार्टी के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में यूपी से बड़ी कांवड़ यात्रा निकलती है लेकिन कहीं भी इस तरह का आदेश नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि इससे समाज में भेदभाव बढ़ेगा। इस आदेश की समीक्षा की जानी चाहिए। इसके बाद उत्तर प्रदेश के एनडीए के दूसरे सहयोगी दल आरएलडी ने भी इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया। अब मोदी के ‘हनुमान’ कहे जाने वाले चिराग पासवान ने भी इस आदेश को गलत बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की है।
उपचुनाव महत्वपूर्ण
उत्तर प्रदेश में जल्द ही 10 विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद उपचुनावों में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वह इन 10 सीटों में ज्यादा से ज्यादा पर जीत हासिल कर अपनी बढ़त बनाना चाहती है। इससे उसका मनोबल बढ़ेगा। लेकिन जिस तरह का वर्तमान माहौल है उसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए चुनौतियां बढ़ी हुई हैं।
भाजपा लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन करने के कारण दबाव में है। महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे भी जनता को परेशान कर रहे हैं। पार्टी के अंदर आपसी तालमेल की कमी भी पार्टी को परेशानी किये हुए है। इसलिए इन उपचुनावों में जीत हासिल करना उसके लिए भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
लेकिन उपचुनाव में विपक्ष की राह भी आसान नहीं है। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। इसका उन्हें फायदा हो सकता है। लेकिन अपनी दुबारा वापसी के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही मायावती भी इन उपचुनावों को लेकर बहुत गंभीर हैं। वह किसी भी हालत में इस उपचुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में अपनी उपस्थिति कुछ मजबूत करना चाहती हैं। ऐसे में बहुजन समाजवादी पार्टी के मजबूत होने का सपा और कांग्रेस गठबंधन को नुकसान हो सकता है। इन परिस्थितियों में उपचुनाव की पूरी लड़ाई मुख्य रूप से त्रिकोणात्मक हो सकती है। इससे उत्तर प्रदेश का लोकसभा चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए बहुत रोचक हो सकता है।
‘सांप्रदायिक विभाजन के लिए दिया विवादित आदेश’
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद आजम ने अमर उजाला से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। योगी आदित्यनाथ के लिए इन उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना उनके पद और प्रतिष्ठा के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है। संभवत यही कारण है कि जानबूझकर इस तरह का सांप्रदायिक विवाद खड़ा किया जा रहा है जिससे किसी भी कीमत पर मतदाताओं को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित किया जा सके और उपचुनाव में उसका लाभ लिया जा सके। हालांकि, समाजवादी पार्टी नेता ने कहा कि इसके बाद भी भाजपा को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि जनता ने उनके शासन करने का तरीका बहुत अच्छे तरीके से देख लिया है। उन्होंने दावा किया कि सपा-कांग्रेस गठबंधन इस उप चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह बहुत शानदार प्रदर्शन करेगा।
‘प्रशासनिक व्यवस्था के लिए जारी आदेश’
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि कावड़ यात्रा मार्ग पर नाम प्लेट लगाने का निर्देश कावड़ यात्रियों की धार्मिक भावनाओं और प्रशासनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। इससे समाज में संवाद और शांति बनी रहेगी। कावड़ यात्रियों की धार्मिक भावनाएं भी अच्छी तरह से पूरी होगी और किसी तरह का विवाद नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस आदेश का किसी को गलत अर्थ नहीं निकलना चाहिए। यह पूरी तरह प्रशासनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए शांति बनाए रखने के लिए दिया गया है और इस पर कोई विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए।