पड़ाव स्थित अघोर पीठ के बाहर कतारबद्ध महिला भक्त।
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आषाढ़ पूर्णिमा पर शहर से लेकर गांव तक के आश्रम, मठ और मंदिरों में 18.75 लाख शिष्यों ने अपने-अपने गुरु का दर्शन पूजन कर आशीर्वाद लिया। गुरु-शिष्य परंपरा के पर्व गुरु पूर्णिमा का नजारा देखते ही बन रहा था। शहर का कोना-कोना गुरु-पर्व पर गुलजार रहा।
सामनेघाट से पड़ाव के बीच पड़ने वाले आश्रमों में भोर की पहली किरण के साथ ही आषाढ़ पूर्णिमा के अनुष्ठान आरंभ हुए। अघोर पीठ श्री सर्वेश्वरी समूह आश्रम पड़ाव में गुरुदेव का दर्शन-पूजन करने के लिए रात लगभग तीन बजे से ही शिष्य कतारबद्ध हो गए थे।
शिष्यों को अघोरपीठ के पीठाधीश्वर बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम ने लगातार 4:30 घंटे बैठकर गुरुकृपा रूपी अमृत वर्षा की। भोर में 4:30 बजे श्रद्धालुओं ने अघोरेश्वर महाविभूति स्थल गंगातट तक प्रभातफेरी निकाली।
सुबह साफ-सफाई व श्रमदान के बाद सात बजे से अघोरेश्वर भगवान राम के चिरकालिक आसन का पूजन गुरुपद संभव राम ने किया। श्री सर्वेश्वरी समूह के मंत्री डॉ. एसपी सिंह ने सर्वेश्वरी ध्वजोत्तोलन किया।
सफलयोनि का पाठ अघोर शोध संस्थान के निदेशक अशोक कुमार ने किया। लगभग 7:30 बजे गुरुपद संभव राम आसन पर विराजमान हुए। शिष्यों द्वारा हर-हर महादेव के जयघोष के साथ प्रारंभ हुआ दर्शन-पूजन दोपहर 12 बजे तक चला।
संतमत अनुयायी आश्रम मठ गढ़वाघाट में गुरू दरबार सजाया गया। पीठाधीश्वर गुरू सरनानंद महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए शिष्यों की कतार लगी रही। इस दौरान व्यवस्था में बाबा प्रकाशाध्यानानंद महाराज, धर्मदर्शनानंद, हरिध्यानानंद, दिव्यदर्शनानंद ने सहयोग किया।