वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। इससे पहले सोमवार को लोकसभा के बजट सत्र की शुरुआत हुई। इस दौरान वित्त मंत्री ने सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण रखा। आइए जानते हैं संसद में बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले पेश किया जाने वाला आर्थिक सर्वेक्षण क्या है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह कितना अहम है? इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने की शुरुआत कब से हुई?
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आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?
हर साल देश का केंद्रीय बजट पेश करने के एक दिन पहले देश के वित्त मंत्री लोकसभा और राज्यसभा में आर्थिक सर्वे पेश करते हैं। इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में आर्थिक सर्वेक्षण या आर्थिक सर्वे पेश किया। यह दस्तावेज बजट का मुख्य आधार होता है, और जिससे देश की अर्थव्यवस्था हकीकत सामने आती है। आर्थिक सर्वे को पिछले वित्तीय वर्ष हुई आमदनी और खर्चे की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) वित्तीय स्थिति की बारे में जानकारी देती है। आर्थिक सर्वे से हमें पता चलता है कि किसी खास वित्तीय वर्ष के दौरान देश में विकास का रुख कैसा रहा। किस क्षेत्र से कमाई हुई और सरकार की योजनाएं किस तरह लागू की गईं।
आर्थिक सर्वे के दो हिस्सों में क्या-क्या होता है?
आर्थिक सर्वेक्षण को दो हिस्सों में पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार की नीतियों, प्रमुख आर्थिक आंकड़े और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। इस सर्वेक्षण में आम जनता को महंगाई, बेरोजगारी के आंकड़े तो मिलते ही हैं। इसके साथ ही निवेश, बचत और खर्च करने के तरीके का भी पता चलता है। आर्थिक सर्वेक्षण के पहले हिस्से में देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की जमीनी हकीकत की जानकारी साझा की जाती है। वहीं दूसरे हिस्से में विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख आंकड़े प्रदर्शित किए जाते हैं।
आर्थिक सर्वे कैसे तैयार होता है? यह पहली बार कब पेश हुआ?
देश के आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़ा दस्तावेज आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में पेश किया जाता है। तैयार होने के बाद आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्री अपना अनुमोदन देती हैं। देश का पहला आर्थिक सर्वे वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। पहले इसे बजट के दिन ही पेश किया जाता था। वर्ष 1964 से इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा और तब से ये परंपरा अब तक जारी है।