सुप्रीम कोर्ट
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देश की सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश एसवीएन भट्टी का कहना है कि जब वे केरल में थे तो एक मुस्लिम द्वारा संचालित शाकाहारी भोजनालय में भोजन करने जाते थे। न्यायमूर्ति भट्टी ने आगे कहा कि उस भोजनालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वच्छता के मानकों का पालन किया जाता था।
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शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान साझा किया अनुभव
अब सवाल ये है कि आखिर न्यायमूर्ति भट्टी ने यह टिप्पणी क्यों की? दरअसल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे। निर्देश में कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों का नाम साफ साफ लिखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर रोक लगाई है। शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान न्यायमूर्ति भट्टी ने केरल में अपने अनुभव को भी साझा किया।
न्यायमूर्ति भट्टी ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति भट्टी ने कहा,‘जब मैं केरल में था तो वहां एक हिंदू का शाकाहारी भोजनालय था। वहां एक अन्य शाकाहारी भोजनालय भी था, जिसका संचालन एक मुस्लिम द्वारा किया जाता था। मैं मुस्लिम द्वारा संचालित शाकाहारी भोजनालय में भोजन करने जाता था। वह मुस्लिम युवक दुबई से लौटा था। स्वच्छता के मामले में मुस्लिम युवक द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाता था। इसलिए, उस भोजनालय में जाना मुझे पसंद था।’
उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी
अदालत में सुनवाई के दौरान तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आप मैन्यू कार्ड देखकर भोजनालय का चयन करते हैं ना कि नाम देखकर। इस मामले में सर्वोच्च अदालत की पीठ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। वे सिर्फ यह बताएं कि उनके पास कौन-से और किस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं।