नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली
– फोटो : एएनआई (फाइल)
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नेपाल के पीएम ओली ने सोमवार को प्रतिनिधि सभा की बैठक में सांसद दीपक बहादुर सिंह के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों के आधार पर किया जाएगा। सांसद सिंह ने सवाल किया था कि ‘चुच्चे नक्सा’ (मानचित्र) में शामिल दार्चुला के लिपुलेक, कालापानी और लिम्पियाधुरा की जमीन का नेपाल कब से उपयोग कर सकेगा। जवाब में ओली बोले, ‘सुगौली संधि, विभिन्न मानचित्रों, ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर भारत सरकार के साथ वार्ता व कूटनीति के माध्यम से सीमा समस्या को हल करने के लिए नेपाल सरकार प्रतिबद्ध है। ‘सुगौली संधि‘ 1816 के अनुसार उक्त तीनों क्षेत्र व काली नदी पूर्व की सभी भूमि नेपाल की है इस विषय में नेपाल सरकार दृढ़ और स्पष्ट है।
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188 वोट हासिल करके विश्वास मत किया हासिल
प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 188 वोट हासिल करके विश्वास मत जीता है। बता दें कि उन्हें विश्वास मत जीतने के लिए 138 वोटों की जरूरत थी, जो उन्हें मिले वोटों से 50 ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक संसद में मौजूद 263 सांसदों में से 188 ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 74 ने इसके विरोध में मतदान किया वहीं एक सांसद ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
प्रचंड सरकार से ओली की पार्टी ने वापस लिया था समर्थन
वहीं इससे पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर से केपी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद संसद में विश्वास मत हारने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।