13 वर्षों से कागजों में घूम रहा है आईआईटी दिल्ली द्वारा प्रस्तावित ड्रेनेज मास्टर प्लान
– फोटो : PTI
विस्तार
राजधानी में बारिश होने पर सड़के दरिया व गलियां तालाब में तब्दील होती हैं। लोगों के लिए कुछ ही मिनट में राहत की बारिश आफत बन जाती है। बारिश के पानी के निकलने की उचित व्यवस्था न होने की वजह से नाले उफान मारते हैं। रही सही कसर जिम्मेदार विभाग नालों की सफाई न करके पूरी करते हैं। इससे दिल्ली की रफ्तार थम जाती है। पहले नदी का पानी बढ़ने से शहर में आता था, लेकिन अब शहर का पानी ही बाढ़ जैसे हालात पैदा कर रहा है। इसका एक नजारा बीते बुधवार और 27 जुलाई को देखने को मिला। ऐसे में बारिश की अलग-अलग विभागों की पोल खुलती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह आबादी बढ़ने के क्रम में जल निकासी सिस्टम की क्षमता में बढ़ोतरी न करना है। यही नहीं, 1976 में बनाए गए ड्रेनेज सिस्टम पर ही दिल्ली निर्भर है। उधर, 13 वर्ष पहले बनाए गए ड्रेनेज मास्टर प्लान अब तक कागजों में घूम रहा है।