Hariyali Teej 2024: हरियाली तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं (Married Women) के लिए बहुत ही खास होता है. सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह पर्व रखती हैं. वैसे तो साल भर में तीन प्रकार की तीज होती हैं, जिसमें हरियाली तीज सबसे पहले पड़ता है.
हरियाली तीज का पर्व सावन महीने (Sawan Month 2024) की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है, जोकि आज बुधवार 7 अगस्त 2024 को है. आज विवाहिताएं हरियाली तीज का व्रत रखेंगी और शिव-पार्वती (Shiv Parvati) की पूजा करेंगी. पूजा में कई तरह की सामग्रियों (Puja Samagri) की जरूरत पड़ती है, जिसमें खीरा (Kheera) भी शामिल है.
हरियाली तीज की पूजा (Hariyali Teej ki Puja) में खीरा का होना बहुत जरूरी होता है, इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. आइये जानते हैं आखिर क्यों हरियाली तीज में होती है खीरा की जरूरत और क्या है तीज में खीरा पूजन का रहस्य.
हरियाली तीज की पूजा में खीरा का महत्व (Cucumber Importance of Hariyali Teej Puja)
ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shastra) में खीरा का संबंध चंद्रमा (Chandrama) से बताया गया है. दरअसल जितने भी तरल पदार्थ होते हैं, उनका संबंध चंद्र ग्रह से होता है. हरियाली तीज में शिव शक्ति के साथ ही चंद्रमा पूजन का भी महत्व है. इसलिए पूजा के दौरान खीरा रखना अनिवार्य माना जाता है.
एक अन्य कारण यह भी है कि, चंद्रमा शिव को अधिक प्रिय है. इसे शिवजी (Shiv ji) ने अपने माथे पर इसे सुशोभित किया है. चंद्रमा से खीरे का संबंध है और चंद्र का शिव से. इसलिए हरियाली तीज की पूजा में खीरा को चंद्रमा का प्रतीक मानकर पूजा जाता है, जिससे कि चंद्रमा के शुभ फल से मन के विकार दूर हों, शुभता प्राप्त हो और व्रत में किसी तरह का दोष न रहे.
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