भारतीय अर्थव्यवस्था।
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भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी एक सालाना रिपोर्ट में देश की वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक के 7.2% के अनुमान से थोड़ा कम है। स्टेट बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में वृद्धि दर में 20 आधार अंकों की गिरावट का कारण वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चतताओं को बताया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ” हमें वास्तविक सकल घरलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7% रहने का अनुमान है। अनुमानों में कटौती का आधार वैश्विक स्तर पर बढ़ी हुई अनश्चितताएं हैं।” रिपोर्ट में गिरावट के बावजूद यह कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत विकास प्रदर्शित कर रही है और इस साल सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बने रहने की उम्मीद है।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए उसका जीडीपी अनुमान कई सकारात्मक कारकों पर आधारित है, जिसमें लाभांश द्वारा समर्थित राजकोषीय बफर में वृद्धि, मानसून की स्थिति में सुधार के कारण कृषि गतिविधि में प्रत्याशित रिकवरी और मजबूत विनिर्माण गतिविधि के बीच निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि शामिल है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2020-25 के लिए अपने समग्र विकास अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखा। हालांकि, एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के वृद्घि अनुमान को संशोधित कर 7.1 प्रतिशत कर दिया है, जो उसके पिछले अनुमान से 20 आधार अंक कम है। यह बदलाव मुख्य रूप से औद्योगिक उत्पादन, कॉर्पोरेट मुनाफे और सामान्य सरकारी व्यय में नरमी की आशंकाओं को देखते हुए किया गया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि के साथ आर्थिक विकास को रेखांकित किया और जून में हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1 प्रतिशत हो गई।
दास ने कहा, “2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, इसके पहली तिमाही 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-26 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर जिसके अनुमान हम पहली बार दे रहे हैं, 7.2 प्रतिशत रह सकती है।”