आईएमएस परिसर में पिता के कंधे पर बीमार पुत्र।
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बीएचयू अस्पताल में जानकारी के आभाव में लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। शनिवार को ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला। यहां चंदौली निवासी दस वर्षीय एक बच्चे को उसके पिता कंधे पर ही लादकर जांच कराने के लिए आईएमएस बीएचयू परिसर स्थित पैथालॉजी लैब तक पहुंचे।
निदेशक कार्यालय गेट से लेकर अंदर जांच केंद्र तक जाने में पिता को पसीना आ गया, लेकिन किसी ने स्ट्रेचर, व्हील चेयर मिलने की जानकारी देना उचित नहीं समझा।
शनिवार की दोपहर करीब दो बजे आईएमएस निदेशक कार्यालय के गेट से दस साल के बेटे को पीठ पर लादकर पिता जांच कराने अंदर जा रहे थे। पिता ने बताया कि बेटे को कमर के नीचे असहनीय पीड़ा हो रही थी। वह चलने-फिरने में असमर्थ था। कुछ सेकेंड खड़ा होना भी उसके लिए ठीक नहीं था।
बाल रोग विभाग में दिखाने पर डॉक्टर ने जांच लिखी। पहले तो पता चला कि अस्पताल के सीसीआई लैब में ही जांच हो जाएगी। इस पर पिता बाल रोग विभाग की ओपीडी से बेटे को लादकर बाहर आया। यहां पता चला कि जो जांच डॉक्टर ने लिखी है, वो आईएमएस परिसर में बने लैब में होगी।
इसके बाद पीठ पर बेटे को लादकर पैथालॉजी तक गया। यहां किसी तरह बेटे का सैंपल दिया, पूछने पर कर्मचारी ने 15 दिन बाद आकर रिपोर्ट लेने की बात कही। पिता ने फिर बेटे को पीठ पर बिठाया और वहां से लादकर आईएमएस से बाहर तक आए। इस दौरान उनको स्ट्रेचर, व्हीलचेयर मिल नहीं सका।
बोले अधिकारी
अस्पताल की इमरजेंसी के साथ ही विभागों में भी मरीजों की सुविधा के लिए व्हीलचेयर, स्ट्रेचर रहता है। ओपीडी में आने पर पैरामेडिकल स्टाफ को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी। जहां तक जांच की बात है तो पैथालॉजी की सभी जांच अस्पताल में बने लैब के काउंटर पर करने को कहा गया है। – प्रो. एसएन संखवार, निदेशक, आईएमएस बीएचयू