महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बृहस्पतिवार को जातिगत जनगणना का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना कराई जानी चाहिए, ताकि आदिवासी, एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों आदि की आबादी की सही संख्या का पता लग सके। साथ ही इससे केंद्र को नीतियां बनाने में भी मदद मिलेगी।
बता दें कि कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। एनडीए में शामिल जेडीयू ने भी इसका समर्थन किया है। वहीं, अब एनसीपी नेता पवार भी जातिगत जनगणना कराए जाने के समर्थन में आ गए हैं।
एनसीपी नेता पवार ने कहा, मुझे लगता है कि एक बार जातिगत जनगणना होनी चाहिए। इसे आम जनगणना के साथ ही एक बार कराया जाना चाहिए, क्योंकि इससे हमें आदिवासी, एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और समाज के अन्य वर्गों की आबादी की सही संख्या पता चल जाएगी। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना इसलिए जरूरी है, क्योंकि हर वर्ग अपने लिए नीतियों (आरक्षण) की मांग करता है। सटीक आंकड़े मिलने पर सरकार को भी नीतियां बनाने में मदद मिल सकती है।
किसान कल्याण के मुद्दे पर दिया जोर
अजित पवार ने महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दे पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए विभिन्न सुधारों जैसे शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देना, किसानों के पुराने बिजली बिल माफ करना और उन्हें मुफ्त बिजली देना आदि के माध्यम से काम कर रही है। मीडिया से बातचीत में उपमुख्यमंत्री पवार ने तीन बार किसानों के कर्ज माफी का जिक्र किया। कहा कि पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में किसानों का कर्ज माफ किया गया, तब पी चिदंबर वित्त मंत्री और शरद पवार कृषि मंत्री थे। दूसरी बार राज्य में देवेंद्र फडणवीस की सरकार रहते ऐसा हुआ और तीसरी बार जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बने, तब किसानों का कर्ज माफ किया गया। पवार ने कहा कि ठाकरे की सरकार के दौरान मैं वित्त मंत्री था।
विदर्भ-मराठवाड़ा में पानी पहुंचाने के लिए शुरू की कई योजनाएं
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा, अब हमने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज देना शुरू किया है, जिसका 50 फीसदी केंद्र और 50 फीसदी राज्य सरकार देती है। इस कर्ज को किसान एक साल बाद चुका सकते हैं। इसके अलावा, हम किसानों का बिजली बिल माफ करने की नीति लेकर आए हैं। इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने राज्य के सूखा प्रभावित इलाकों विदर्भ और मराठवाड़ा में पानी पहुंचाने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। सिंचाई जल प्रबंधन पर बोलते हुए पवार ने कहा, हमने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वहां पानी पहुंचाया है, जहां लोग पिछले कुछ वर्षों से सूखा से पीड़ित थे। हमारी विभिन्न लिफ्ट सिंचाई योजनाएं चल रही हैं और कई शुरू की हैं।
पुणे-मुंबई में बाढ़ के पीछे के बताए प्रमुख कारण
इसके अलावा, पवार ने पुणे और मुंबई में बाढ़ के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, पुणे शहर पहाड़ियों के ऊपरी हिस्सों में कई बांधों से घिरा हुआ है। इस बार ऊपरी हिस्सों में भारी बारिश हुई, जिसके चलते बांध से लगभग 35000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे बाढ़ आ गई। इसी तरह, मुंबई छह घंटे में समुद्री ज्वार का सामना करती है। हालांकि, बाढ़ के दूसरे दिन मुंबई का जलस्तर अपने आप नीचे चला जाता है। हमने इससे निजात पाने के लिए सबकुछ किया, लेकिन यह एक प्राकृतिक समस्या है।