मक्खन कटोरी
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किंवदंती है कि बचपन में भगवान श्रीकृष्ण माखन चोरी कर एक पेड़ की पत्तियों में उसे छिपा देते थे। आगरा में बालकृष्ण की माखन चोरी की लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा रहने वाले उसी प्रजाति का पेड़ है। पेड़ का नाम है मक्खन कटोरी या कृष्ण दोना। इसकी खासियत ये होती है कि इसकी बड़ी पत्तियां दोने और छोटी पत्तियां चम्मच की तरह होती हैं। इसे कृष्ण वट भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम फिकस कृष्णा है।
ताजमहल पश्चिमी गेट पर स्थित पुरातत्व विभाग की नर्सरी (खान-ए-आलम) में फिकस कृष्णा का सैकड़ों साल पुराना पेड़ है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण अपने बाल्यकाल में पड़ोसियों के घरों से माखन चुराया करते थे। मां यशोदा की डांट से बचने के लिए वे चुराया हुआ माखन इस पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर वहीं छिपा देते थे।
मान्यता है तभी से इस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया। पहले ब्रज क्षेत्र में यह पेड़ बहुत अधिक संख्या में थे। मौसम परिवर्तन व अन्य कारणों से ब्रज में भी इसके गिने-चुने पेड़ ही बचे हैं। आगरा परिक्षेत्र में इस प्रजाति का यह एकमात्र पेड़ है।
मक्खन कटोरी की खासियत
– पूरे साल हरा-भरा रहता है।
– फिकस की अन्य प्रजातियों की तरह अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन देता है।
– कार्बन डाईआक्साइड अधिक मात्रा में अवशोषित करता है।
आगरा व आसपास अकेला पेड़
एएसआई की उद्यान शाखा के पूर्व निदेशक डॉ. हरवीर सिंह ने बताया कि फिकस कृष्णा का पेड़ खान-ए-आलम नर्सरी में है। सैकड़ों साल पुराना है। आगरा या आसपास इस प्रजाति का अकेला पेड़ है। इसकी वृद्धि की दर तुलनात्मक रूप से धीमी है।