नई दिल्ली. 79 साल के जावेद अख्तर कौन हैं? ये हिंदी सिनेमा प्रेमियों को बताने की जरूरत नहीं हैं. ‘शोले’-‘दीवार’ जैसी कई फिल्मों साथ उन्होंने कई ऐसे गानों के बोल लिखे हैं, जिन्हें लोग आज भी गुनगुना पसंद करते हैं. जावेद अख्तर को करीब से जानने वाले ये अच्छे से जानते हैं कि वो नास्तिक हैं. लेकिन ऐसा क्यों? इस सवाल का जवाब हाल ही में उन्होंने दिया और बताया कि क्योंकि उनमें सोचने की क्षमता है. उन्होंने हाल ही में बताया कि कैसे धार्मिक विचारधारा से कैसे बच निकले.
जावेद अख्तर को मुखर अंदाज के लिए जाना जाता है. हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस के एक इवेंट में उन्होंने एक बार फिर से धर्म पर बात की. उनका मानना है कि 20वीं और 21वीं सदी के लोग स्प्लिट पर्सनैलिटी वाले हैं.
क्यों नास्तिक हैं जावेद अख्तर
उनसे पूछा गया कि उनके अंदर धार्मिक भावना क्यों नहीं है? कैसे वह धार्मिक विचारधारा से कैसे बच निकले? इस पर जावेद अख्तर ने जवाब दिया, ‘हमारे पास तर्क हैं, लॉजिक हैं लेकिन हमारे दिमाग का एक हिस्सा उस वक्त डैमेज हो चुका है. जब हम बच्चे थे तब हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.’
वैज्ञानिक सोच को मिलती है सजा
जावेद ने कहा कि जो लोग समाज के नियमों के खिलाफ चलते हैं. उनको वैज्ञानिक सोच की वजह से सजा दी जाती है. उन्होंने उदाहरण के साथ समझाया, ’20वीं और 21वीं सदी स्किट्सफ्रीनिया का समय है. लोग स्प्लिट पर्सनैलिटी वाले हैं.’
वैज्ञानिकों के भगवान से प्रार्थना करने पर कसा तंज
जावेद साहब ने आगे चांद का उदाहरण देते हुए अपनी बात को आगे समझाते हुए कहा, ‘भारत में ISRO (इसरो) से एक आदमी जो कि चांद के एक हिस्से पर रॉकेट भेज सकता है… लेकिन चांद पर तो चंद्रलोक है, देवी-देवता रहा करते थे, आप वहां रॉकेट भेज रहे हो और जैसे ही पहुंच जाता है आप मंदिर चले जाते हो. यह स्किट्सफ्रीनिया है. मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आपका ज्ञान और सूचना और आपके धर्म की सोच नहीं मिल रही.’
अंधकार युग से जुड़ी है गर्भनाल
इसके बाद जावेद अख्तर ने कहा कि सभी धर्म ‘अंधकार युग’ में हैं और उन्होंने कहा, ‘ये सभी धर्म, बिना किसी अपवाद के अंधकार युग के हैं. उनकी जड़ें अंधकार युग से जुड़ी हैं. उन्होंने कहा लोगों की गर्भनाल अंधकार युग से नहीं कटी है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 14:40 IST