Jivitputrika Vrat 2024: जितिया का व्रत (Jitiya Vrat ) हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. छठ की पूजा की तरह ही जीवित्पुत्रिका के व्रत में भी नहाय खाय, खरना परंपरा का पालन करती है. उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
ये व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में ही रखा जाता है.माताएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा करती हैं. जानें जितिया व्रत 24 या 25 सितंबर कब किया जाएगा.
जितिया व्रत 24 या 25 सितंबर 2024 में कब ? (Jitiya Vrat 24 or 25 September 2024 Date)
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12.38 मिनट पर शुरू होगी और समाप्ति 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12.10 पर होगी.
- जितिया व्रत – 25 सितंबर 2024 को किया जाएगा.
- व्रत पूजा – शाम 04.43 – शाम 06.14
कैसे किया जाता है जितिया व्रत ? (Jitiya Vrat Kaise kare)
- जितिया व्रत छठ की तरह कठिन माना गया है. इस व्रत के पहले दिन महिलाओं को सूर्योदय से पहले ही स्नान करना होता है और स्नान के बाद पूजन आरंभ किया जाता है.
- पूजा के बाद महिलाएं भोजन करती हैं और फिर उसके पश्चात पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं. जीमूतवाहन की पूजा करती है. फिर व्रत का पारण किया जाता है.
जितिया व्रत पूजा की विधि (Jitiya Vrat Puja vidhi)
- जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन प्रात: काल स्नान करने के बाद महिलाएं प्रदोष काल में पूजन स्थल को गोबर से लीपकर साफ करती हैं.
- इसके बाद वहां पर एक छोटा-सा तालाब बनाया जाता है और इस तालाब के नज़दीक ही पाकड़ की डाल खड़ी की जाती है. अब तालाब के जल में कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति स्थापित की जाती है और इसकी धूप-दीप, अक्षत, रोली और फूलों आदि से पूजन किया जाता है.
- इस व्रत में महिलाएं मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां भी बनाती हैं. इन मूर्तियों के माथे पर सिंदूर का टीका लगाने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है और फिर पारण किया जाता है.
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