द आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर
– फोटो : ANI (Video Grab)
विस्तार
आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद विवाद पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। लड्डू प्रसाद मामले में अब आध्यात्मिक नेता और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस घटना से हिंदू बुरी तरह से आहत हुए हैं। यह कुछ ऐसा है जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण बताया। इसी के साथ उन्होंने कहा कि लड्डू के अलावा सभी खाद्य सामग्रियों की भी जांच हो।
श्री श्री रविशंकर ने कहा, “हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि कैसे 1857 में सिपाही विद्रोह हुआ था। और अब हम देख रहे हैं कि कैसे लड्डू के कारण हिंदूओं की भावनाएं आहत हुई हैं। यह कुछ ऐसा है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता है। यह दुर्भावनापूर्ण है और यह उन लोगों की लालच को दिखाता है तो इसमें शामिल हैं। उन्हें सजा मिलनी चाहिए उनकी संपत्तियों को जब्त कर उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “हमें केवल लड्डू ही नहीं बल्कि सभी खाद्य सामग्रियों की जांच करनी चाहिए। उस घी का क्या जो बाजार में उपलब्ध है? क्या किसी ने इसकी जांच की है कि वे इस घी में क्या मिला रहे हैं? जो लोग भोजन में मिलावट करके उसे शाकाहारी बताते हैं, ऐसे लोगों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। मंदिर प्रबंधन के लिए हमें यह देखने की जरूरत है कि यह संतों और आध्यात्मिक नेताओं की देखरेख में है या नहीं। इसके लिए आध्यात्मिक नेताओं की समिति बनाने की जरूरत है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक उन्हें देखना चाहिए।”
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि इस समिति में सरकार की तरफ से भी एक प्रतिनिधित्व होना चाहिए, लेकिन उसे यहां छोटी भूमिका निभानी होगी। मुख्य निर्णय और सबकुछ एसजीपीसी जैसे धार्मिक बोर्डों द्वारा किया जाना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने किया था दावा
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार (वाईएसआरसीपी) पर लड्डू प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अमरावती में एनडीए विधायक दल की बैठक में दावा किया था कि तिरुमाला लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाया गया था। वे घी के बदले जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करते थे। उन्होंने आगे कहा कि अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जाता है और मंदिर में सभी चीजों को सैनेटाइज कर दिया गया है।