अनुरा दिसानायके
– फोटो : अमर उजाला / एएनआई
विस्तार
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने जीत हासिल की है। वे द्वीप राष्ट्र के नौवें राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने समागी जना बलवेगया के सजित प्रेमदासा को हराया है। देश के इतिहास में यह पहली बार है जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में हुआ। देश के चुनाव आयोग ने रविवार को नतीजों का एलान किया।
चुनाव आयोग ने नतीजों का एलान दूसरे दौर की मतगणना के बाद किया। पहले दौर में वर्मतान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तीसरे स्थान पर रहे और बाहर हो गए। विक्रमसिंघे ने तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था। वह पहले 1999 और 2005 में भी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं।
द्वीप राष्ट्र में शनिवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले गए थे और रात्रि कर्फ्यू के बीच मतगणना पूरी हुई। नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) अनुरा कुमार दिसानायके श्रीलंका के नौवें कार्यकारी राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार हैं। मतदान शनिवार की सुबह सात बजे से शुरू होकर शाम के चार बजे तक 22 चुनावी जिलों के 13,400 मतदान केंद्रों पर हुआ था। 56 वर्षीय नेता ने त्रिकोणीय मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वियोंसजित प्रेमदासा और रानिल विक्रमसिंघे को हराया है।
कौन है अनुरा कुमार दिसानायके
अनुरा कुमार दिसानायके कोलंबो से सांसद हैं। वर्तमान में वह नेशनल पीपुल्स पावर और जनता विमुक्ति पेरमुना पार्टी के नेता हैं। राष्ट्रपति पद के लिए उन्होंने नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन में मार्क्सवादी-झुकाव वाली जनता विमुक्ति पेरेमुना (जेवीपी) पार्टी शामिल है। उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और गरीबों के कल्याण के लिए नीति पर अपना फोकस किया। दिसानायके ने चुनाव प्रचार के दौरान महत्वपूर्ण बदलावों का वादा किया, जिसमें आम चुनाव में नया जनादेश हासिल करने के लिए 45 दिनों के भीतर संसद को भंग करना भी शामिल है।
बता दें कि 2022 में गंभीर आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला राष्ट्रपति चुनाव है। अप्रैल 2022 में खाद्यान्न, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी के बीच श्रीलंका ने दिवालिया होने की घोषणा की थी। देश में महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शन के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका छोड़कर भागने व इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। कुछ हफ्तों बाद संसद ने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति नियुक्त किया था।