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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 26 Sep 2024 12:05 PM IST
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने कानपुर नगर निवासी तृप्ति सिंह की अपील खारिज करते हुए दिया है। तृप्ति सिंह की शादी 2002 में अजातशत्रु के साथ हुई थी। शादी के बाद एक बेटा हुआ। पत्नी ने 2006 में पति को छोड़ दिया। इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल किया।
अदालत(सांकेतिक) – फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पति और उसके परिजनों के खिलाफ झूठा अपराधिक मुकदमा कराना क्रूरता की श्रेणी में आता है। इससे पति के मन में असुरक्षा की भावना जागृत होना लाजमी है। लिहाजा, ऐसी क्रूरता तलाक के लिए पर्याप्त आधार है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने कानपुर नगर निवासी तृप्ति सिंह की अपील खारिज करते हुए दिया है। तृप्ति सिंह की शादी 2002 में अजातशत्रु के साथ हुई थी। शादी के बाद एक बेटा हुआ। पत्नी ने 2006 में पति को छोड़ दिया। इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल किया। इसके बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया।
इन आरोपों के कारण पति और उसके परिवार के सदस्यों को जेल जाना पड़ा। वह बाद में जमानत पर छूटने के बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक की अर्जी दाखिल की। जो स्वीकार हो गई। पत्नी इसके खिलाफ हाइकोर्ट पहुंची। कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी। कहा कि परिजन दहेज के झूठे मुकदमे से भले ही बरी हो गए, लेकिन जेल जाने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।