सांकेतिक तस्वीर
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एक देश, एक चुनाव योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार तीन विधेयक ला सकती है। इनमें से दो बिल संविधान संशोधन के लिए होंगे। प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल में से एक को कम से कम 50 फीसदी राज्यों की मंजूरी की जरूरत होगी। यह बिल स्थानीय निकायों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के समान बनाने से जुड़ा हुआ है।
देश में एक साथ चुनाव कराने की योजना को आगे बढ़ते हुए सरकार ने इस महीने की शुरुआत में देशव्यापी आम सहमति बनाने की कवायद के बाद उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। प्रस्तावित प्रथम संविधान संशोधन बिल लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने का प्रावधान करेगा।
प्रथम बिल में ‘एकसाथ चुनाव’ का प्रावधान
प्रस्तावित बिल में ‘नियत तिथि’ से संबंधित उपखंड (1) को जोड़कर अनुच्छेद 82ए में संशोधन किया जाएगा। यह बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति से संबंधित अनुच्छेद 82ए में उपखंड (2) को शामिल करने की भी कोशिश करेगा। साथ ही इसमें विधानसभाओं को भंग करने तथा अनुच्छेद 327 में संशोधन कर ‘एकसाथ चुनाव’ शब्द जोड़ने से संबंधित प्रावधान भी हैं।
दूसरे बिल को 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं की मंजूरी जरूरी
प्रस्तावित दूसरे संविधान संशोधन बिल को कम से कम 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी क्योंकि यह राज्य के मामलों से संबंधित मामलों से निपटेगा। दूसरा संविधान संशोधन विधेयक एक नया अनुच्छेद 324ए जोड़कर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव भी एक साथ कराने का प्रावधान करेगा।
तीसरा बिल विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों से जुड़ा
तीसरा बिल एक साधारण विधेयक होगा, जो विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर से संबंधित तीन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करेगा, ताकि इन सदनों की अवधि को अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के साथ संरेखित किया जा सके, जैसा पहले संविधान संशोधन विधेयक में प्रस्तावित किया गया था।