सांकेतिक तस्वीर
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ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को मॉरिशस को लौटाने का फैसला किया है। यह द्वीप समूह हिंद महासागर में स्थित है और इसमें 60 से अधिक छोटे द्वीप शामिल हैं। चागोस द्वीप समूह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर यहां स्थित ब्रिटेन और अमेरिका सैन्य ठिकाने डिएगो गार्सिया के लिए। ब्रिटेन सरकार ने कहा कि इस समझौते का समर्थन अमेरिक जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदार ने भी किया है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, यह समझौता हमारे महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने को सुरक्षित करेगा। उन्होंने कहा, इससे वैश्विक सुरक्षा को मजबूत किया जाएगा और हिंद महासागर का इस्तेमाल अवैध प्रवासन के रास्ते के रूप में नहीं होगा। साथ ही यह मॉरिशस के साथ हमारे संबंधों को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, यह दिखाता है कि मॉरिशस के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंध हैं, जो हमारा करीबी राष्ट्रमंडल साझेदार भी है।
पूरा विवाद क्या था
चागोस द्वीप समूह को लेकर ब्रिटेन और मॉरिशस के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। 1960 के दशक में जब ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह पर कब्जा किया तो वहां के चागोसी लोगों को जबरन वहां से निकाल दिया गया। मॉरिशस को 1968 में आजादी मिली लेकिन वह चागोस द्वीप समूह तब भी ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा। मॉरिशस ने समय-समय पर इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मानते हुए ब्रिटेन से इसे वापस करने की मांग की। चागोस के निवासियों ने भी लंबे समय तक अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कानूनी मामले भी दायर किए, ताकि वह अपनी जमीन पर वापस लौट सकें। संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में ब्रिटेन के कब्जे को चुनौती दी गई थी। हालांकि, ब्रिटेन इस द्वीप समूह का रणनीतिक सैन्य ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करा रहा। वहीं, अमेरिका ने भी इस पर अपना सैन्य ठिकाना बनाया।