दक्षिणेश्वरी काली मंदिर (कोलकाता) – यह मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां माता सती से पैर के अंगूठे गिरे थे. कहते हैं यहां स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस को मां काली ने दर्शन दिए थे. नवरात्रि में यहां दर्शन के लिए लंबी कतार लगती है.
वैष्णों देवी (जम्मू-कश्मीर) – वैष्णो देवी में सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्रि में लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालु की तादात करोंड़ो में बदल जाती है.यहां मां वैष्णो देवी 9 महीने तक भैरो नाथ से छिपी रही थी. इसी वजह से इसे गर्भजून गुफा कहा जाता है
नैना देवी (नैनीताल) – यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे. इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा. यहां जो भी श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
कालकाजी (दिल्ली) – शारदीय नवरात्रि के पहले दिन दिल्ली के कालकाजी मंदिर में माता के पहले स्वरूप की आराधना हुई. नवरात्रि पर कालकाजी मंदिर में माता के दर्शन के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि इस मंदिर में श्री कृष्ण पांडवों के साथ यहां माता की पूजा के लिए आए थे.
चामुंडा देवी (देवास) – देवास टेकरी पर उत्तर दिशा में मां चामुंडा माता का मंदिर स्थित है, इनकी मूर्ति चट्टान में उकेरकर बनाई गई हैं. यह मूर्ति परमार काल की बताई जाती है. देवास रियासत के राजा इन्हें कुलदेवी के रूप में पूजते हैं.
मां शारदा (मैहर) – 51 शक्तिपीठों में एक मां शारदा का पावन धाम मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां पर सती का हार गिरा था. मां शारदा को विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है.
Published at : 03 Oct 2024 01:48 PM (IST)
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