नई दिल्ली. साल 1960 में आई फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ ने सिनेमा की दुनिया में इतिहास रच दिया था. फिल्म को के आसिफ ने डायरेक्ट किया था. वो पहले ऐसे डायरेक्टर थे जिन्होंने अपने करियर में 2 फिल्में ही बनाईं. उस दौर में जब 5 से 10 लाख रुपए में फिल्में बनती थीं, उस दौर में उन्होंने अपनी एक फिल्म पर 1.5 करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे.
जिस फिल्म के बारे में हम यहां बात कर रहे हैं वो के आसिफ की महान कृति मुगल-ए-आजम. सभी आर्टिस्टों के साथ ये फिल्म तकरीबन एक दशक बिताने के बाद 1960 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. यह फिल्म जबरदस्त हिट रही और तब इसने दुनिया भर में 11 करोड़ रुपये की कमाई की, यह उन दिनों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी. के.आसिफ बचपन से ही जिद्दी और जुनून थे उनके इसी जुनून की वजह से बॉलीवुड में इतिहास रचने वाली फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ देखने का दर्शकों को मौका मिला था.
1 ही गाने पर खर्च कर दिए थे 10 लाख रुपये
भारी भरकम बजट में बनी इस फिल्म को लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं. उस दौर में इस फिल्म को बनाने में तकरीबन 14 साल लग गए थे. फिल्म के एक गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को फिल्माने में भी काफी खर्चा आया था. ये उस दौर की बात है जब 5 लाख रुपये में पूरी फिल्म बन जाया करती थी. लेकिन उस दौर में के आसिफ ने इस फिल्म पर करोड़ रुपया लगा दिया था. सिर्फ एक गाने प्यार किया तो डरना क्या पर ही उन्होंने 10 लाख रुपए खर्च कर दिए थे. नौशाद साहब ने 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद ये गाना फाइनल किया था.
2 सिर्फ फिल्मों से जमाई थी धाक
के. आसिफ अपने परफेक्शन के लिए भी जाने जाते थे. वह अपने काम को लेकर इतने सजग थे कि उन्होंने सिर्फ असली मोती के लिए भी लंबे समय तक इस फिल्म की शूटिंग रोककर रखी थी. अपने पूरे करियर में उन्होंने सिर्फ दो फिल्मों के लिए काम किया. साल 1944 में आई ‘फूल’ और फिर साल 1960 में ‘मुगल-ए-आजम.’ अपनी एक फिल्म से तो उन्होंने इतिहास ही रच दिया था.
बाथरूम में गवाया था गाना
इस गाने को परफेक्ट बनाने के लिए नौशाद ने लता मंगेशकर से गवाया था. लेकिन उन्हें इस गाने में ऐसा इफेक्ट चाहिए था जो उस दौर में मुमकिन नहीं था. इसलिए उन्होंने गाने में एको डालने के लिए नौशाद ने बाथरूम स्टूडियो में लता मंगेशकर से ये गाना गवाया था.
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FIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 15:16 IST